भारत-चीन के बीच सैन्य कमांडरों के नौवें दौर की बातचीत होनी है। लेकिन इसमें विलंब होता दिख रहा है। संभावना है कि इस महीने तीसरे सप्ताह में यह बैठक हो सकती है। यह बैठक ज्यादा महत्वपूर्ण इसलिए मानी जा रही है क्योंकि एलएसी से पीछे हटने का एक प्रस्ताव दोनों देशों की सेनाओं के पास विचाराधीन है।
सेना के सूत्रों ने कहा कि अभी नौवें दौर की बैठक की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन इसके लिए प्रयास जारी हैं। अगले सप्ताह यह बैठक हो सकती है। बता दें कि दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच आठवें दौर की वार्ता छह नवंबर को हुई थी जिसमें सेनाओं को पीछे हटाने के लिए एक त्रिस्तरीय कार्य योजना तैयार की गई थी, लेकिन यह दोनों देशों के बीच विचाराधीन है।
सेना के सूत्रों ने कहा कि अगली बैठक महत्वपूर्ण है। यदि इस प्रस्ताव पर सहमति बनती है तो सैन्य कमांडरों के बीच इस पर मुहर लगेगी और फिर इसका असर जमीन पर दिखना शुरू हो जाएगा। इसके तहत पहले चरण में दोनों देश टैंक, तोप आदि हथियारों को हटाएंगे। दूसरे चरण में चीन फिंगर आठ तक पीछे हटेगा और भारत फिंगर-2 तक। तथा तीसरे चरण में पूरी तरह से मई से पहले की स्थिति बहाल की जाएगी।
गतिरोध खत्म करने के लिए मोदी सरकार ने बनाई थी योजना
आपको बता दें कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच विगत छह माह से जारी गतिरोध खत्म होने के आसार अब नजर आने लगे हैं। दोनों देशों के बीच एक प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है जिसके तहत तीन चरणों में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी और एलएसी पर मई से पहले की स्थिति बहाल होगी। सेना के सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच बनी सहमति के बाद तीन चरणों में सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बन चुकी है। उम्मीद है कि सैन्य कमांडरों की जल्द होने वाली नौवें दौर की बैठक में इस प्रस्ताव पर दोनों देशों की मुहर लग जाएगी।
प्रस्ताव में क्या : सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव के तहत पहले चरण में दोनों देश एलएसी पर जमा टैंकों, तोपों आदि रक्षा साजो सामान को पीछे हटाएंगे। दूसरे चरण में चीनी सेना फिंगर आठ तक पीछे हटेगी। अभी वह फिंगर-4 के करीब के कुछ इलाकों में मौजूद है। जबकि भारत फिंगर-2 तक पीछे हटेगा, जहां वह मई से पहले की स्थिति में मौजूद था। इसके बाद तीसरे चरण में दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले स्थानों से पीछे हटेंगी।