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Sunday, May 12, 2024

कांग्रेस में जारी है सिर फुटव्वल, अब अधीर रंजन चौधरी के निशाने पर आए कपिल सिब्बल, बोले- बिहार में आपका चेहरा क्यों नहीं दिखा?

बिहार चुनाव में करारी हार के बाद अब कांग्रेस के भीतर ही आपसी कलह बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस बनाम कांग्रेस विवाद में अब अधीर रंजन चौधरी ने कपिल सिब्बल को आड़े हाथों लिया है। बिहार चुनाव और उपचुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन पर टिप्पणी के लिए कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मविश्लेषण नहीं है।

पत्रकारों से बातचीत में मंगलवार को अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘कपिल सिब्बल ने पहले भी इस बारे में बात की थी। वह कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण (आत्मविश्लेषण) की जरूरत के बारे में बहुत चिंतित हैं। लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा।’ दरअसल, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक साक्षात्कार में बिहार विधान सभा चुनाव और मध्य प्रदेश उपचुनाव के परिणामों के मद्देनजर पार्टी के भीतर आत्मनिरीक्षण की जरूरत की वकालत की है।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ‘अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश में चले जाते, तो वह साबित कर सकते थे कि वह जो कह रहे हैं वह सही है और इससे कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है। सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा। बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है।’ इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कपिल सिब्बल पर निशाना साधा था और कहा था कि पार्टी के आंतरिक मसले को मीडिया में ले जाना सही नहीं है और इससे देशभर के कार्यकर्ताओं के मनोबल को ठेस पहुंचेगी। 

कपिल सिब्बल ने लीडरशिप पर उठाए सवाल?
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पार्टी की लीडरशिप पर भी सवाल उठाए हैं। सिब्बल से जब इंटरव्यू में सवाल पूछा गया कि क्या पार्टी लीडरशिप बिहार हार को एक और हार की तरह देख रही है, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम। मैं यहां सिर्फ अपने बारे में बात कर रहा हूं। मैंने लीडरशिप को मुझे कुछ भी बताते हुए नहीं सुना। इसलिए, मुझे नहीं मालूम। मुझे बस लीडरशिप के आसपास वाली आवाजें ही सुनाई देती हैं। हमें अभी भी कांग्रेस पार्टी से बिहार चुनाव और  उप-चुनाव में हालिया प्रदर्शन पर उनकी राय का इंतजार है। सिब्बल ने कहा, ”यह भी हो सकता है कि वे सोचते हों कि सबकुछ ठीक है और इसे हमेशा की तरह लेते हों।’

अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ‘अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश में चले जाते, तो वह साबित कर सकते थे कि वह जो कह रहे हैं वह सही है और इससे कांग्रेस की स्थिति मजबूत हुई है। सिर्फ बात करने से कुछ नहीं होगा। बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है।’ इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कपिल सिब्बल पर निशाना साधा था और कहा था कि पार्टी के आंतरिक मसले को मीडिया में ले जाना सही नहीं है और इससे देशभर के कार्यकर्ताओं के मनोबल को ठेस पहुंचेगी। 

कपिल सिब्बल ने लीडरशिप पर उठाए सवाल?
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने पार्टी की लीडरशिप पर भी सवाल उठाए हैं। सिब्बल से जब इंटरव्यू में सवाल पूछा गया कि क्या पार्टी लीडरशिप बिहार हार को एक और हार की तरह देख रही है, तो उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं मालूम। मैं यहां सिर्फ अपने बारे में बात कर रहा हूं। मैंने लीडरशिप को मुझे कुछ भी बताते हुए नहीं सुना। इसलिए, मुझे नहीं मालूम। मुझे बस लीडरशिप के आसपास वाली आवाजें ही सुनाई देती हैं। हमें अभी भी कांग्रेस पार्टी से बिहार चुनाव और  उप-चुनाव में हालिया प्रदर्शन पर उनकी राय का इंतजार है। सिब्बल ने कहा, ”यह भी हो सकता है कि वे सोचते हों कि सबकुछ ठीक है और इसे हमेशा की तरह लेते हों।’

छह सालों से कांग्रेस ने नहीं किया आत्मविश्लेषण: सिब्बल
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी लीडरशिप पर आरोप लगाते हुए कहा है, ‘अगर कांग्रेस ने पिछले छह सालों में आत्मविश्लेषण नहीं किया है तो अब क्या उम्मीद है कि अभी करेगी?  हमें पता है कि कांग्रेस में क्या गलत है। संगठनात्मक रूप से, हम जानते हैं कि क्या गलत है। मुझे लगता है कि हमारे पास सभी जवाब हैं। कांग्रेस पार्टी खुद ही सारे जवाब जानती है। लेकिन वे उन जवाबों को पहचानने की इच्छुक नहीं हैं। यदि वे उन जवाबों को नहीं ढूंढती है तो फिर ग्राफ में गिरावट जारी रहेगी।’

छह सालों से कांग्रेस ने नहीं किया आत्मविश्लेषण: सिब्बल
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी लीडरशिप पर आरोप लगाते हुए कहा है, ‘अगर कांग्रेस ने पिछले छह सालों में आत्मविश्लेषण नहीं किया है तो अब क्या उम्मीद है कि अभी करेगी?  हमें पता है कि कांग्रेस में क्या गलत है। संगठनात्मक रूप से, हम जानते हैं कि क्या गलत है। मुझे लगता है कि हमारे पास सभी जवाब हैं। कांग्रेस पार्टी खुद ही सारे जवाब जानती है। लेकिन वे उन जवाबों को पहचानने की इच्छुक नहीं हैं। यदि वे उन जवाबों को नहीं ढूंढती है तो फिर ग्राफ में गिरावट जारी रहेगी।’

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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