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Sunday, May 12, 2024

कांग्रेस में जारी है नेताओं की नाराजगी का सिलसिला, अध्यक्ष पद के चुनाव पर पड़ सकता है असर

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में एक बार फिर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाए जाने के बाद बहस फिर तेज हो गई है। पर इस बार असंतुष्ट स्वर बहुत प्रभावी नहीं हैं। क्योंकि, पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले बाकी वरिष्ठ असंतुष्ट नेता चुप हैं। इससे पार्टी को जरूर कुछ राहत मिली है।

कांग्रेस नेता मानते हैं कि पार्टी में अंसतुष्ट गुट की नाराजगी अभी भी बरकरार है। ऐसे में इसका सीधा असर पार्टी अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव पर पड़ेगा। अध्यक्ष पद के लिए दिसंबर के आखिर में चुनाव होने की संभावना है। पार्टी के एक नेता ने कहा कि अगर राहुल गांधी वापसी की तैयारी कर रहे हैं, तो असंतुष्ट नेताओं के स्वर कुछ धीमे जरूर हो सकते हैं, पर आवाज उठती रहेंगी।

पार्टी के अंदर कई नेताओं का मानना है कि कांग्रेस अध्यक्ष को 23 असंतुष्ट नेताओं ने पत्र लिखा था। इनमें सिर्फ कपिल सिब्बल बोल रहे हैं। सिब्बल सीधे तौर पर संगठन से जुड़े नहीं रहे हैं। ऐसे में उनकी बात की बहुत गंभीरता नहीं है, पर वह मानते हैं किे इस तरह के स्वर न उठें तो बेहतर है। क्योंकि, पार्टी बेहद मुश्किल दौर से गुजर रही है और पार्टी को एकजुट रहना चाहिए।

कांग्रेस के नए अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) जल्द चुनाव कार्यक्रम का ऐलान कर सकती है। पार्टी के अंदर सीडब्लूसी के लिए चुनाव कराने की मांग जोर पकड़ सकती है। कपिल सिब्बल और दूसरे असंतुष्ट नेता कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में इस मांग को दोहरा चुके हैं। ऐसे में पार्टी के अंदर असंतुष्ट स्वर अभी बरकरार रह सकते हैं।

लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि अगर कपिल सिब्बल बिहार और मध्य प्रदेश में चले जाते, तो वे साबित कर सकते थे कि जो वह कह रहे हैं वह सही है और उन्होंने कांग्रेस की स्थिति को मजबूत किया। मेरी बात से कुछ हासिल नहीं होगा। बिना कुछ किए बोलने का मतलब आत्मनिरीक्षण नहीं है। उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल ने इस बारे में पहले भी बात की थी। वह कांग्रेस पार्टी और आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता के बारे में बहुत चिंतित हैं। लेकिन हमने बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश या गुजरात के चुनावों में उनका चेहरा नहीं देखा। 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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