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Wednesday, May 8, 2024

वाराणसी में खादी का कुंभ

आजकल देश में एक जगह यैसा मेला भी लगा है जहाँ अतिथि और दर्शक हथकरघे और चरखे से सूत काटने का जबरदस्त मजा ले रहे हैं | उस मेले में कोई आता है और कुछ इस तरह से मेले का लुत्फ़ उठता है

अरे वाह! बहुत शानदार, यह आपका लूम है।….जी हां, सामने से फिर पूछा जाता है , आप चलाती हैं इसे। उत्‍साह के साथ महिला बोलती है , बिल्‍कुल मैं ही इसे चला रही हूं। इतना सुनकर, प्रश्‍न पूछ रहे सज्‍जन अपने को रोक नहीं पाए और बोले कि जरा मुझे भी दिखाओ, अपना करघा चला कर, मैं इसे चलते हुए देखना चाहता हूं। इसके बाद मेला परिसर मे महिला अपना करघा दे देती है , सामने जो विशेष अतिथि एवं अन्‍य लोग थे, उन्‍होंने देखा कि कैसे करघा चलता है और खादी बुनाई की जाती है। इस मेले में यह संवाद आम सा मिलेगा आपको | कुछ अन्‍यों अगले क्रम पर लगे चरखे और करघे को भी चलवाकर देखा जा रहा है और अतिथि संतुष्ट हो आगे बढ़ जाते हैं।

दरअसल, यह दृष्‍य है वाराणसी का । वहां केंद्रीय MSME राज्य मंत्री भानु प्रताप सिंह वर्मा 20 भारतीय राज्यों के उत्कृष्ट हस्तशिल्प उत्पादों को प्रदर्शित करने वाली एक अत्याधुनिक खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किये हैं | जब उन्‍होंने खादी की इस आधुनिक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया तो वे कारीगरों के साथ संवाद करने से अपने को नहीं रोक सके। उत्‍साह के इस वातावरण में उन्‍होंने न केवल सभी को खादी के प्रचार-प्रसार के लिए धन्‍यवाद दिया, बल्‍कि उन्‍हें भारत की परम्‍परा को समेटनेवाला अग्रदूत भी बताया।

कश्मीर सहित इन राज्यों की कलाकृतियां मोह रहीं लोगो का मन |

परिसर में प्रवेश करते ही दाईं तरफ पहला स्टाल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के ताजिकुद्दीन का लगा हुआ है, वे अपनी बंगाली संस्कृति में रची गई साड़ियां लेकर यहां आए हैं। इसी तरह आगे बढ़ने पर कहीं कश्मीर, कहीं पंजाब, कहीं राजस्थान व उत्तराखंड की कलाकृतियां मन मोह रही हैं तो अपने राज्य के विभिन्न जनपदों के एक जिला-एक उत्पाद के स्टाल कारीगरों की कलाओं का बखान कर रहे हैं।

इन दिनों वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में खादी प्रदर्शनी के बहाने विभिन्न राज्यों के उत्पाद ही नहीं, वहां की लोक-संस्कृति की भी झलक भी देखने को मिल रही है। जम्मू और कश्मीर के प्रीमियम हाई एल्टीट्यूड शहद सहित उत्कृष्ट खादी उत्पादों की एक श्रृंखला, कश्मीरी व राजस्थानी ऊनी शॉल की एक विस्तृत विविध किस्म, पश्चिम बंगाल से मलमल का कपड़ा, पश्चिम बंगाल व बिहार से रेशमी कपड़े की एक किस्म, पंजाब से कोटि शॉल, कानपुर से चमड़े के उत्पाद, राजस्थान व उत्तर प्रदेश से मिट्टी के बर्तन, मिर्जापुर और प्रयागराज के व्यापक रूप से प्रशंसित हाथ से बुने हुए कालीन इस प्रदर्शनी के सबसे बड़े आकर्षण हैं।

कहीं हर्बल उत्पाद तो कहीं फैशन-श्रृंगार के सामान

उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, लेह-लद्दाख, राजस्थान, उत्तराखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों के खादी संस्थानों के कुल 105 स्टाल लगाए गए हैं। कई खादी संस्थानों, पीएमईजीपी इकाइयों और विभिन्न राज्यों के कई स्फूर्ति समूहों ने भी अपने स्टॉल लगाए हैं। कहीं सरस समूहों द्वारा उत्पादित जड़ी-बूटियों से निर्मित हर्बल स्वास्थ्यवर्धक उत्पाद तो कहीं फैशन व श्रृंगार के सामान। एक से बढ़कर एक आकर्षक वस्तुएं एवं खाद्य सामग्रियां, जिन्हें आप देखें तो देखते रह जा रहे हैं ।

सम्मेलन में 2000 से अधिक खादी कारीगर

KVIC ने एक “खादी कारीगर सम्मेलन” भी आयोजित किया, जिसमें 2000 से अधिक खादी कारीगरों ने हिस्सा लिया। इनमें अधिकांश कारीगर आस-पास के 12 जिलों जैसे प्रयागराज, जौनपुर, गाजीपुर और सोनभद्र आदि की महिलाएं थीं। केंद्रीय राज्य मंत्री कहते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में वाराणसी विभिन्न खादी गतिविधियों के केंद्र के रूप में उभरा है। कताई, बुनाई, मधुमक्खी पालन और मिट्टी के बर्तन बनना जैसी लगभग सभी ग्रामीण व पारंपरिक कलाओं को यहां बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिया गया है, जिसने कारीगरों के लिए स्वरोजगार पैदा किया है और उन्हें आत्मानिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी इन कारीगरों को अपने उत्पादों के विपणन और अपनी आय बढ़ाने के लिए एक बड़ा मंच भी प्रदान करेगी।

क्या कहता है KVIC

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना का कहना है कि वाराणसी में राज्य स्तरीय खादी प्रदर्शनी “आत्मनिर्भर भारत” के लिए खादी कारीगरों की प्रतिबद्धता की एक अभिव्यक्ति थी। उन्होंने कहा कि केवीआईसी ने पारंपरिक कलाओं को मजबूत करने व स्थानीय कारीगरों को सशक्त बनाने के लिए बड़ी संख्या में खादी संस्थानों, पीएमईजीपी इकाइयों और स्फूर्ति समूहों की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी ‘वोकल फॉर लोकल’ पहल को बढ़ावा देगी और खादी को भी इससे बढ़ावा मिलेगा। विशेष रूप से वाराणसी, जो प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र भी है, ने खादी को बढ़ावा देने और कारीगरों की

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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