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Friday, May 17, 2024

दुनिया को एकजुट करने के लिए कैलाश सत्यार्थी ने छेड़ा एक नया वैश्विक आंदोलन

सोमवार 11 मार्च को को नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन का नयी दिल्ली में आगाज हुआ । नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के इस कदम को टूटते-बिखरते विश्व को करुणा की डोर से जोड़ने की एक नई पहल के रूप में देखा जा रहा है ।

उल्लेखनीय है कि नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने नई दिल्ली में आयोजित लॉरेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रन कॉन्क्लेव में एक नई वैश्विक पहल ‘सत्यार्थी मूवमेंट फॉर ग्लोबल कम्पैशन’ (एसएमजीसी) का आगाज किया। नोबेल पुरस्कार विजेताओं और नेताओं, व्यवसायों, शिक्षाविदों, युवाओं और नागरिक समाज को साथ लेकर छेड़े गए करुणा के इस नए आंदोलन का उद्देश्य, टूटन और बिखराव जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया को एकजुट करके एक न्यायपूर्ण, समावेशी और पक्षपात रहित विश्व का निर्माण करना है।

बता दें एसएमजीसी की शुरुआत ऐसे वक्त में हुई है जब दुनिया कई बड़ी वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है। इस अवसर पर बोलते हुए, एसएमजीसी के संस्थापक श्री सत्यार्थी ने कहा, “पिछले कई दशकों से, मैं करुणा के वैश्वीकरण की जरूरत पर बात करता रहा हूँ। आज एसएमजीसी के साथ हमने उस दिशा में आगे एक और कदम बढ़ा दिया है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूँ कि आप अपने भीतर छुपी करुणा की उस चिंगारी को पहचानें और इस आंदोलन में शामिल हों। टूटन और बिखराव से त्रस्त हमारी इस दुनिया को करुणा ही एकजुट कर सकती है।”

उन्हें ऐसा क्यों लगता है कि विश्व को आज करुणा के एक आंदोलन की आवश्यकता है, के उत्तर में कैलाश सत्यार्थी ने कहा, “दुनिया आज जितनी समृद्ध और एक दूसरे से जितनी जुड़ी हुई है, उतनी पहले कभी नहीं रही। लेकिन इसके साथ ही बिखराव, युद्ध, गैर-बराबरी, नफरत, जलवायु संकट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के संभावित खतरों जैसी चुनौतियां भी तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके सबसे बड़े शिकार हमेशा बच्चे ही होते हैं। संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) पटरी से उतर गए हैं। अभूतपूर्व धन, संसाधन और ज्ञान के बावजूद, ये समस्याएँ क्यों बनी हुई हैं? संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएँ, विश्व की सरकारें और दुनिया के सबसे अमीर लोग, इसे एकजुट रखने में बुरी तरह असफल रहे हैं।”

कैलाश सत्यार्थी ने सिविल सोसाइटी द्वारा छेड़े गए दुनिया के कुछ सबसे बड़े और सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया है जिनमें बाल श्रम के खिलाफ 103 देशों में 80,000 किमी लंबा अभूतपूर्व ‘ग्लोबल मार्च’ और ‘ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन’ प्रमुख हैं। ग्लोबल मार्च के परिणामस्वरूप आईएलओ ने सबसे खतरनाक रूप के बालश्रम पर प्रतिबंध लगाने वाला कन्वेंशन पारित किया जो दुनियाभर में सबसे तेजी से लागू हुआ प्रस्ताव है। उसी प्रकार शिक्षा को एक मानव अधिकार का दर्जा दिलाने में ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बाल श्रम मुक्त कालीनों के लिए पहली टिकाऊ वैश्विक पहल ‘रगमार्क’ की स्थापना भी श्री सत्यार्थी की अन्य अभूतपूर्व पहलों में शामिल है। बच्चों की आजादी और शिक्षा के लिए दुनियाभर में किए गए उनके प्रयासों के लिए, 2014 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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