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Sunday, May 19, 2024

इंडोनेशिया ने आज से खाद्य तेल का निर्यात किया बंद, अब फिर से बढ़ेगी महंगाई

पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे भारतीयों पर और बोझ बढ़ने वाला है और इसकी वजह बना है इंडोनेशिया। घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों को काबू करने के लिए इंडोनेशिया ने 28 अप्रैल यानी आज से खाद्य तेल का निर्यात बंद करने का फैसला किया है। इंडोनेशिया के इस फैसले का भारत पर बड़ा असर हो सकता है। क्योंकि भारत खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक है और अपनी जरूरत का 70 फीसदी खाद्य तेल इंडोनेशिया से आयात करता है। पाम तेल महंगा होने से न सिर्फ खाने के तेल महंगे हो जाएंगे बल्कि शैंपू-साबुन से लेकर केक, बिस्कुट और चॉकलेट तक के दाम बढ़ जाएंगे।

विशेषज्ञों का कहना है कि कई तेलों में तो पाम तेल मिलाया जाता है क्योंकि इसमें महक नहीं होती है। एफएमसीजी एवं सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली कंपनियां भी बड़ी मात्रा में पाम तेल का इस्तेमाल करती हैं। भारत करीब 90 लाख टन पाम तेल खरीदता है। इसमें 70 फीसदी पाम तेल का आयात इंडोनेशिया से और 30 फीसदी पाम ऑयल मलेशिया से आता है। इंडोनेशिया से पाम तेल का निर्यात बंद होने के बाद मलयेशिया पर निर्भरता बढ़ेगी और खाद्य तेल के दाम 20 फीसदी तक बढ़ सकते हैं। भारत में पहले से ही सोयाबीन, सरसों और सूरजमुखी के तेलों की कीमतें ज्यादा हैं। प्रतिबंध के बाद इनकी कीमतें और बढ़ेंगी।

पाम तेल पूरी दुनिया में सबसे लोकप्रिय वनस्पति तेल है। दुनियाभर के करीब 50 फीसदी घरेलू उत्पादों में इसका इस्तेमाल होता है। पाम तेल का सबसे ज्यादा इस्तेमाल खाने के तेल की तरह होता है। शैंपू, नहाने के साबुन, टूथपेस्ट, विटामिन की गोलियां, सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद, केक और चॉकलेट आदि में भी इसका इस्तेमाल होता है।

 

भारत में खाने वाले तेल की खपत कितनी?

भारत में मौजूद 2015-16 तक के डाटा के मुताबिक, प्रति व्यक्ति पर हर साल 19.5 किलो खाद्य तेल का खर्च आता है। यह 2012-13 में प्रति व्यक्ति पर होने वाले 15.8 किलो खाद्य तेल के खर्च से काफी 3.7 किलोग्राम तक ज्यादा रही। इस आंकड़े से साफ है कि भारत में हर साल कुल 2.6 करोड़ टन खाद्य तेल की जरूरत पड़ती है।

इन कंपनियों पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असरहिंदुस्तान यूनीलिवर : कंपनी ने 2016 में बताया था कि वह हर साल 10 लाख टन कच्चे पाम तेल का इस्तेमाल उत्पादों में करती है। कंपनी साबुन, शैंपू, क्रीम, फेसवॉश सहित दर्जनों कॉस्मेटिक उत्पाद बनाती है।

 

नेस्ले : किटकैट चॉकलेट बनाने वाली कंपनी ने 2020 में 4.53 लाख टन पाम तेल खरीदा था। इसमें अधिकतर इंडोनेशिया से खरीदे गए, जबकि कुछ मलयेशिया से आयात हुआ था।प्रॉक्टर एंड गैंबल : कंपनी ने 2020-21 में 6.05 लाख टन पाम तेल खरीदा था। ज्यादतर का इस्तेमाल होम केयर एवं सौंदर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाने में किया गया।मॉन्डलेज इंटरनेशनल : ओरियो बिस्कुट बनाने वाली कंपनी भी अपने उत्पादों में इस्तेमाल करने के लिए भारी मात्रा में पाम तेल खरीदती है।लॉरियल : कंपनी अपने उत्पादों में पाम तेल का इस्तेमाल करती है। इसने 2021 में अपने उत्पादों में 310 टन पाम तेल का इस्तेमाल किया।

मलेशिया पर बढ़ानी होगी निर्भरता

इंडोनेशिया पूरी दुनिया में पाम तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस मामले में दूसरे नंबर पर है मलेशिया का नाम आता है। 2020-21 में भारत ने 83.1 लाख टन पाम तेल आयात किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि अब इंडोनेशिया के इस कदम के बाद भारत में पाम तेल का आयात बुरी तरह प्रभावित होगा, इसके लिए भारत को अब मलेशिया पर निर्भरता बढ़ानी होगी। ऐसे में आने वाले दिनों में देश में खाने के तेल का भाव और बढ़ने की उम्मीद है।

 

खाद्य मुद्रास्पीफित में दिख सकती है तेजी

रिपोर्ट के अनुसार, इंडोनेशिया की ओर से लिए गए इस फैसले के कारण वैश्विक खाद्य मुद्रास्फीति में बढ़ावा देखने को मिल सकता है। जो कि रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद रिकॉर्ड उच्च स्तर पर है। बता दें कि देश में सरसों तेल के दाम उच्च स्तर पर हैं और रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से सूरजमुखी का तेल की सप्लाई बाधित होने के कारण बहुत महंगा हो चुका है। अब इंडोनेशिया के पाम तेल निर्यात को रोकने के बाद महंगाई और बढ़ जाएगी। हालांकि भारत सरकार अब पाम तेल उत्पादन पर लगातार जोर दे रही है और नेशनल मिशन ऑफ एडिबल ऑयल के तहत 2025-26 तक भारत में पाम ऑयल का उत्पादन तीन गुना करने का लक्ष्य तय किया गया है।

 

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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