प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कहा है कि उसने बिहार के 500 करोड़ रुपये के सृजन घोटाले में प्रमुख आरोपियों में से एक बिपिन कुमार को गिरफ्तार किया है।
16 सौ करोड़ रुपये से अधिक सरकारी राशि के अवैध हस्तांतरण से जुड़ा यह घोटाला एक एनजीओ, नेताओं, सरकारी विभागों और अधिकारियों के गठजोड़ का परिणाम है।
इसमें शहरी विकास के लिए भेजे गए पैसे को गैर-सरकारी संगठन के एकाउंट में पहुंचाया गया। वहां से बंदरबांट हुई। मनोरमा देवी ने 1993-94 में ‘सृजन महिला विकास सहयोग समिति’ शुरू की थी।
1996 में सृजन को सहकारिता विभाग में को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में मान्यता मिली थी। को-ऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में सदस्य महिलाओं के पैसे जमा भी किए जाते थे। इस जमा पैसे पर उन्हें ब्याज दिया जाता था।
2007-2008 में सृजन को-ऑपरेटिव बैंक खुल गया। इसके बाद घोटाले का खेल शुरू हुआ। भागलपुर सरकारी खजाने का पैसा सृजन को-ऑपरेटिव बैंक के खाते में ट्रांसफर होता था। फिर इस पैसे को बाजार में लगाया जाता था।
सृजन में स्वयं सहायता समूह के नाम पर कई फर्जी ग्रुप बने। उनके खाते खुले और इन खातों के माध्यम से नेताओं और अधिकारियों का काला धन सफेद किया जाने लगा।