अयोध्या, 9 अप्रैल 2025, बुधवार। अयोध्या का लता चौक, जहां कभी भक्ति और शांति की गूंज सुनाई देती थी, मंगलवार की रात एक ऐसी चीख से थर्रा उठा, जिसने हर किसी का दिल दहला दिया। एक नशे में धुत डंपर चालक ने अपनी लापरवाही से चार मासूम जिंदगियों को कुचल दिया। चंद सेकंड में सबकुछ तबाह हो गया—किसी का बेटा हमेशा के लिए खामोश हो गया, तो किसी का परिवार अब अस्पताल की सर्द दीवारों के बीच उम्मीद की आखिरी सांस गिन रहा है।
चाय की चुस्की से चीखों तक: हादसे की आंखों देखी
रात का वक्त था। लता चौक पर कुछ लोग फुटपाथ के पास चाय की चुस्कियां ले रहे थे, आपस में हंसी-मजाक चल रहा था। तभी अचानक एक तेज़ रफ्तार डंपर ने सारी खुशियां तार-तार कर दीं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने कांपते लहजे में बताया, “हमने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है। पहले एक जोरदार धमाका हुआ, फिर देखते ही देखते डंपर फुटपाथ पर चढ़ गया। लोग उसके नीचे दब गए, चीखें सुनाई देने लगीं। ऐसा लगा जैसे सबकुछ खत्म हो गया।”
हादसा इतना भयावह था कि डंपर ने पहले नयाघाट चौकी के पास पुलिस बैरियर को तोड़ा, फिर बिजली के खंभे को उखाड़ता हुआ लता चौक तक पहुंचा और वहां मौजूद लोगों को रौंद डाला। एक युवक की मौके पर ही सांसें थम गईं, जबकि तीन अन्य बुरी तरह जख्मी हो गए। घायलों को सिर में गंभीर चोटें आई हैं और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों ने उन्हें हायर मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया है, जहां जिंदगी और मौत के बीच जंग जारी है।
नशे की सनक और टूटी जिंदगियां
पुलिस की तफ्तीश में जो सच सामने आया, वो और भी चौंकाने वाला था। डंपर चालक शराब के नशे में पूरी तरह चूर था। कोतवाल मनोज कुमार शर्मा ने बताया कि चालक कोयला उतारकर लौट रहा था, जब उसने यह कहर बरपाया। हादसे के बाद पुलिस ने फौरन हरकत में आते हुए डंपर और चालक को हिरासत में ले लिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह सजा उन टूटी जिंदगियों को वापस ला सकती है?
शासन से लेकर सड़क तक: सवालों का सैलाब
घटना की खबर फैलते ही आईजी प्रवीण कुमार मौके पर पहुंचे और राहत कार्यों का जायजा लिया। लेकिन अयोध्या के लोग अब गम और गुस्से से भरे सवाल उठा रहे हैं। क्या सिर्फ नशा और तेज़ रफ्तार ही इस हादसे के जिम्मेदार हैं? या फिर सड़कों पर नियमों की अनदेखी और लापरवाही ने भी इस त्रासदी को न्योता दिया? पुलिस बैरियर टूटने के बावजूद डंपर को रोकने में नाकामी क्यों हुई? ये सवाल हर किसी के जहन में कौंध रहे हैं।
एक रात, जो सबकुछ बदल गई
लता चौक की वह शांत रात अब एक दर्दनाक याद बन चुकी है। जहां कभी चाय के ठेले पर हंसी गूंजती थी, वहां अब मातम पसरा है। यह हादसा सिर्फ चार लोगों की कहानी नहीं, बल्कि एक सबक है—कि हमारी छोटी-सी लापरवाही कितने बड़े दुख का सबब बन सकती है। अब देखना यह है कि इस त्रासदी से सबक लेकर सख्ती बरती जाती है, या यह भी एक और भूली हुई खबर बनकर रह जाएगी। अयोध्या की सड़कों पर शांति लौटेगी, मगर उन परिवारों के दिलों का सुकून शायद कभी न लौटे।