पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रधानमंत्री मोदी के साथ हुई बैठक में शामिल ना होने से राज्य और केंद्र सरकार के बीच दूरी को और बढ़ावा दे दिया है। वहीं बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी पर झूठ बोलने का आरोप लगाया है और कहा कि वो पहले ही बैठक में ना आने का संकेत दे चुकी थी।
जगदीप धनखड़ ने ट्वीट कर दावा किया कि शुक्रवार को होने वाली बैठक से पहले ही ममता बनर्जी ने उन्हें मैसेज कर दिया था और कहा था कि अगर इस बैठक में सुवेंदु अधिकारी मौजूद होंगे तो वो बैठक का बॉयकॉट कर सकती हैं। राज्यपाल ने ट्वीट कर ममता बनर्जी पर यह भी आरोप लगाया कि लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया है।
लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया- धनखड़
राज्यपाल ने ट्वीट किया कि मुख्यमंत्री ने 27 मई को रात 11 बजकर 16 मिनट पर संदेश दिया, ‘क्या मैं बात कर सकती हूं, अत्यंत आवश्यक है। इसके अलावा उन्होंने एक और ट्वीट कर लिखा कि इसके बाद ममता ने फोन पर संकेत दिया कि यदि विधायक सुवेंदु अधिकारी प्रधानमंत्री की चक्रवात यास संबंधी समीक्षा बैठक में शामिल होंगे, तो वह और अन्य अधिकारी इसका बहिष्कार करेंगे। लोक सेवा पर अहंकार हावी हो गया।
बैठक में सुवेंदु अधिकारी, धनखड़ के अलावा भाजपा सांसद देबश्री चौधरी भी मौजूद थीं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बैठक में इसलिए भाग नहीं लिया, क्योंकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में भाजपा के किसी विधायक के उपस्थित होने का कोई मतलब नहीं है। अधिकारी ने बनर्जी को हालिया विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम से हराया था।
प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में ममता ने दी थी सफाई
बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा था, ‘‘मैं सिर्फ आपसे बात करना चाहती थी, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के बीच आमतौर पर जिस तरह से बैठक होती है उसी तरह से, लेकिन आपने अपने दल के एक स्थानीय विधायक को भी इस दौरान बुला लिया जबकि प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री की बैठक में उनके उपस्थित रहने का कोई मतलब नहीं था।’’
बनर्जी ने पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि उन्हें बैठक में राज्यपाल और अन्य केंद्रीय मंत्रियों की उपस्थिति पर कोई आपत्ति नहीं थी।