नई दिल्ली, 20 दिसंबर 2024, शुक्रवार। डॉ. मोहन भागवत जी ने पुणे में हिंदू सेवा महोत्सव के उद्घाटन समारोह में कहा कि सेवा धर्म मानवता का धर्म है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अक्सर अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर चर्चा होती है, लेकिन दूसरे देशों में अल्पसंख्यक समुदाय की स्थिति पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सेवा करते समय प्रचार से दूर रहना हमारा स्वभाव होना चाहिए। हमें सेवा के माध्यम से मानवता की सेवा करनी चाहिए और विश्व शांति के लिए काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमें अपनी आजीविका के लिए जो आवश्यक है, वह अवश्य करना चाहिए, लेकिन घर-गृहस्थी से परे हमें सेवा के रूप में दोगुना प्रतिफल देना चाहिए। उन्होंने संदेश दिया कि यदि हममें यह भाव हो कि संसार हमारा पालनहार है, उपभोग की वस्तु नहीं, तो हम परिवार, समाज, गांव, देश, राष्ट्र की सेवा की प्रेरणा लेंगे और उसका पालन करेंगे।
इस अवसर पर स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज ने कहा कि राष्ट्र भूमि, समाज और परंपरा से बनता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने पुणे की भूमि की सेवा की और राजमाता जिजाऊ ने इसी पवित्र भूमि पर गणेश की स्थापना की। सभी अनुष्ठानों का शिखर सेवा है और सेवा ही पूजा है। दान का अर्थ है जो मेरे पास है उसे बांटना, कृतज्ञता नहीं।
इस्कॉन प्रमुख गौरांग प्रभु ने कहा कि हिंदू सनातन धर्म के अंतर्गत 3 बिंदु हैं: दान, आचार और बोध। ये एक दूसरे से जुड़े हुए हैं और हम आत्मबोध के माध्यम से इनमें पारंगत हो सकते हैं। हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख अलग-अलग नहीं हैं, ये सभी एक हैं।
लाभेश मुनि जी महाराज ने कहा कि हमारे गौरवशाली धर्म की आत्मा एक है और सेवा कुंभ शुरू हो गया है। आने वाली पीढ़ी को संस्कृति की परिभाषा समझाते हुए हिंदू सेवा महोत्सव अग्रणी रहेगा।
इस अवसर पर गुणवंत कोठारी ने देशभर में चल रहे हिंदू सेवा महोत्सव की जानकारी दी और इसकी आवश्यकता बताई। कृष्णकुमार गोयल ने प्रस्तावना भाषण दिया। हिंदू आध्यात्मिक सेवा संस्था के अध्यक्ष अशोक गुंदेचा ने स्वागत भाषण दिया जबकि सुनंदा राठी और संजय भोसले ने प्रस्तावना रखी। उद्घाटन समारोह का समापन पसायदान के साथ हुआ। इस अवसर पर मूक बधीर विद्यालय के विद्यार्थियों ने विभिन्न कलाकृतियां प्रस्तुत कीं।