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Sunday, May 19, 2024

पीएम को चिट्ठी भेजने के बावजूद सरकार से बातचीत का रास्ता नहीं खुला तो किसानों का गुस्सा बढ़ा

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान पिछले साढ़े छह माह से आंदोलन कर रहे हैं। जनवरी के बाद से सरकार से किसानों की बातचीत बंद है। किसानों के पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजने के बावजूद सरकार से बातचीत का रास्ता नहीं खुला तो किसानों का गुस्सा बढ़ने लगा है। ऐसे में किसान अब बॉर्डर पर दोबारा से भीड़ बढ़ाकर सरकार पर दबाव बनाने में जुटे हैं। इसी का असर है कि अकेले कुंडली बॉर्डर पर पिछले दस दिन में करीब 15 हजार तक किसान एकत्रित हो गए हैं।

इससे पहले करीब 7 हजार तक किसान थे। अभी बॉर्डर पर किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। ये किसान हरियाणा व पंजाब दोनों जगह से पहुंच रहे हैं। हरियाणा में भाजपा व जजपा नेताओं का विरोध बढ़ने का सबसे बड़ा कारण भी पीएम को चिट्ठी भेजने के बावजूद बातचीत की शुरुआत नहीं होना माना जा रहा है। वहीं किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि आंदोलन को तेज करने के लिए आगामी दिनों में कई बड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

कृषि कानून रद्द करने की मांग को लेकर कुंडली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के धरने को साढ़े छह महीने हो गए हैं। इस बीच किसानों व सरकार के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है तो गृहमंत्री अमित शाह भी किसानों से वार्ता कर चुके हैं। इसके बावजूद कोई हल नहीं निकल सका, लेकिन यह जरूर है कि सरकार व किसानों के बीच बैठक का दौर लगातार जारी था। किसानों व सरकार के बीच आखिरी बैठक 22 जनवरी को हुई थी और उसके बाद से बातचीत का रास्ता बंद पड़ा है। यह माना जा रहा था कि सरकार व किसान एक-दूसरे से पहल चाहते हैं, लेकिन दोनों में कोई भी पहल करने को तैयार नहीं था। 
15 दिन पहले भेजी गई थी पीएम को चिट्ठी
इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने पहल करते हुए बातचीत शुरू करने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भेजी। उस चिट्ठी को भेजे हुए अब करीब पंद्रह दिन हो चुके हैं, लेकिन उसके बावजूद बातचीत का रास्ता नहीं खुल सका। इससे किसानों का गुस्सा बढ़ गया है और अब दोबारा से बॉर्डर पर भीड़ जुटानी शुरू कर दी है। कुंडली बॉर्डर पर पंद्रह दिन पहले तक करीब 7 हजार तक किसान रह गए थे, लेकिन अब पंजाब व हरियाणा से लगातार किसान पहुंच रहे हैं। इनमें कुछ किसान केवल एक-दो दिन रुककर वापस चले जाते हैं तो उनमें से कुछ किसान बॉर्डर पर रह जाते हैं, जिससे वहां करीब 15 हजार तक किसान एकत्रित हो गए हैं।

अब धरनास्थल की छत टिन शेड से बनाई स्थायी
कुंडली बॉर्डर धरनास्थल पर शुरूआत में खुले में धरना शुरू किया गया था, लेकिन जब सर्दी बढ़ने लगी तो वहां तिरपाल डाल दी गई और उसके नीचे किसान बैठने लगे। वहां बारिश हुई तो संयुक्त किसान मोर्चा ने वाटर प्रूफ टेंट की छत बना दी, जिससे वहां बारिश में किसान बच सके। अब एक सप्ताह पहले आंधी व बारिश में वह गिर गई तो संयुक्त किसान मोर्चा ने पाइपों पर टिन शेड डालकर उसको स्थायी बना दिया है, जिससे वह आंधी में नहीं गिर सके। इसके अलावा कई अन्य मकान भी स्थायी बना दिए गए हैं, जबकि प्रशासन ने पहले उनको रोक दिया था। उसके बावजूद दोबारा से स्थायी निर्माण करके मकान बना दिए गए हैं।
किसी भी तरह से किसानों की बात को सरकार सुनने के लिए तैयार नहीं है। सरकार को चिट्ठी भी लिखी गई, लेकिन उस पर भी कोई जवाब सरकार की तरफ से नहीं दिया गया, जिससे साफ है कि सरकार बातचीत करने को लेकर केवल झूठ बोल रही है और इस तरह आराम से यह सरकार मानने वाली नहीं है। इसलिए आंदोलन को तेज करने की जरूरत है और आंदोलन में कई बड़े कदम आगामी दिनों में उठाए जा सकते हैं। – गुरनाम चढूनी, अध्यक्ष भाकियू हरियाणा 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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