रायपुर, 26 अप्रैल 2025, शनिवार। छत्तीसगढ़ सरकार ने जमीन के मालिकाना हक को बदलने की प्रक्रिया को सरल और तेज करने के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। अब जमीन के हस्तांतरण (म्यूटेशन) का जिम्मा जिला पंजीयक और उप-पंजीयक को सौंपा गया है। पहले यह काम तहसीलदार के जिम्मे था, लेकिन अब रजिस्टर्ड सेल डीड के आधार पर पंजीयक कार्यालय ही इस प्रक्रिया को पूरा करेगा।
क्या है नया नियम?
राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने छत्तीसगढ़ भूमि राजस्व संहिता 1959 के तहत नया निर्देश जारी किया है, जो छत्तीसगढ़ राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है। इस बदलाव का मकसद प्रशासनिक प्रक्रियाओं को गति देना, लालफीताशाही को कम करना और जमीन मालिकों को अनावश्यक परेशानियों से बचाना है। यह नियम राजपत्र में प्रकाशन की तारीख से लागू हो गया है और इसे राज्यपाल के नाम से राजस्व विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने हस्ताक्षरित किया है।
कैसे मिलेगी राहत?
नए नियम से जमीन के रिकॉर्ड में बदलाव की प्रक्रिया अब पहले से कहीं ज्यादा तेज और पारदर्शी होगी। पहले तहसीलदार से मंजूरी लेने में समय लगता था, जिससे प्रक्रिया जटिल और देरी भरी हो जाती थी। अब पंजीयक कार्यालय, जहां जमीन की बिक्री पहले ही दर्ज हो चुकी है, वहीं हस्तांतरण का काम भी पूरा करेगा। इससे बार-बार दस्तावेज जमा करने या दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत खत्म होगी।
राजस्व विभाग के एक अधिकारी ने इसे “गेम-चेंजर” बताते हुए कहा, “यह कदम न केवल समय बचाएगा, बल्कि प्रक्रिया को पारदर्शी और जन-हितैषी बनाएगा। जमीन मालिकों को अब कम परेशानी और ज्यादा सुविधा मिलेगी।”
पारदर्शिता और दक्षता का नया दौर
यह बदलाव जमीन हस्तांतरण को न सिर्फ आसान बनाएगा, बल्कि सही मालिकाना हक को जल्दी और बिना रुकावट दर्ज करने में भी मदद करेगा। सरकार का यह कदम प्रशासनिक दक्षता और पारदर्शिता को बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
जमीन मालिकों की उम्मीदें
जमीन मालिकों और कानूनी विशेषज्ञों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका मानना है कि पहले हस्तांतरण में होने वाली देरी और जटिलताएं अब अतीत की बात होंगी। यह नया नियम न केवल समय बचाएगा, बल्कि जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करने की प्रक्रिया को भी पहले से कहीं ज्यादा सुगम बनाएगा।
छत्तीसगढ़ में जमीन से जुड़े इस नए नियम ने न सिर्फ प्रशासनिक प्रक्रिया को सरल किया है, बल्कि लाखों जमीन मालिकों के लिए एक नई राहत की उम्मीद भी जगाई है। यह कदम साबित करता है कि जब सरकार और जनता के हित एक साथ चलते हैं, तो बदलाव न केवल संभव है, बल्कि प्रभावी भी होता है।