भोपाल, 26 अप्रैल 2025, शनिवार। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक ऐसा मामला सामने आया है, जो अजमेर के कुख्यात कांड की याद दिलाता है। यहां एक ‘मुस्लिम गैंग’ ने सुनियोजित तरीके से हिंदू छात्राओं को अपने जाल में फंसाया, उनके साथ दुष्कर्म किया, और वीडियो बनाकर उन्हें ब्लैकमेल किया। इतना ही नहीं, आरोपियों ने पीड़िताओं पर इस्लाम कबूलने, रोज़े रखने, और बुर्का पहनने का दबाव बनाया, साथ ही जबरदस्ती नॉन-वेज खाने और नशे के लिए मजबूर किया। यह घटना न केवल आपराधिक है, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संवेदनाओं को झकझोरने वाली भी है।
कैसे शुरू हुआ यह खौफनाक सिलसिला?
मामला भोपाल के रायसेन रोड स्थित एक प्राइवेट कॉलेज से शुरू हुआ। पीड़िता, जो कॉलेज के फर्स्ट ईयर में पढ़ रही थी, की मुलाकात फरहान नाम के एक युवक से हुई। दोस्ती धीरे-धीरे गहरी हुई, और अप्रैल 2022 में फरहान ने पीड़िता को अपने दोस्त हामिद के जहांगीराबाद स्थित घर ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। इस दौरान उसने चुपके से वीडियो बना लिया। इसके बाद शुरू हुआ ब्लैकमेलिंग का सिलसिला। फरहान ने वीडियो वायरल करने की धमकी देकर पीड़िता पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाना शुरू किया। उसे रोज़े रखने, नॉन-वेज खाने, और बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया गया। पीड़िता ने डर के मारे एक बार बुर्के में फोटो भी भेजी थी।
यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। फरहान ने पीड़िता की छोटी बहन को भी अपने जाल में फंसाया। उसकी बहन की मुलाकात फरहान के दोस्त अली से कराई गई, जिसने जून 2023 में उसके साथ दुष्कर्म किया और वीडियो बनाया। इस वीडियो को फरहान के पास भेजा गया, जिसने फिर दोनों बहनों को ब्लैकमेल करना शुरू किया। फरहान और उसके दोस्तों ने छोटी बहन पर भी दबाव बनाकर फरहान के साथ संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। एक बार तो अबरार के घर बुलाकर उसे नशा करवाया गया, मारपीट की गई, और फिर दुष्कर्म का वीडियो बनाया गया। इस मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना से तंग आकर दोनों बहनों ने कॉलेज जाना तक बंद कर दिया।
पुलिस की कार्रवाई: कैसे पकड़े गए आरोपी?
इस पूरे मामले का खुलासा तब हुआ, जब पीड़िता ने एक युवक से अपनी आपबीती साझा की। उस युवक ने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद पुलिस ने सावधानीपूर्वक कार्रवाई शुरू की। पीड़िता की कई दिनों तक काउंसलिंग की गई, ताकि उसे अपनी पहचान गोपनीय रखने का भरोसा दिलाया जा सके। इसके बाद पीड़िता ने हिम्मत जुटाकर एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने गुप्त रूप से आरोपियों की लोकेशन ट्रेस की और उनके फोन जब्त किए, ताकि वे वीडियो वायरल न कर सकें।
फिलहाल, फरहान और साद को गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि बाकी आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस आयुक्त हरिनारायणचारी मिश्रा ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया है। पुलिस को शक है कि पीड़ितों और आरोपियों की संख्या बढ़ सकती है, क्योंकि इस गिरोह ने कई अन्य युवतियों को भी निशाना बनाया हो सकता है।
अजमेर कांड से समानता
यह मामला 1992 के अजमेर रेप कांड की याद दिलाता है, जहां भी एक संगठित गिरोह ने हिंदू छात्राओं को प्रेमजाल में फंसाकर दुष्कर्म किया और वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया था। भोपाल में भी यही पैटर्न देखने को मिला है। आरोपियों ने सुनियोजित तरीके से हिंदू युवतियों को टारगेट किया, उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया, और धर्म परिवर्तन के लिए दबाव बनाया।
क्या है आगे की राह?
पुलिस इस मामले को संगठित अपराध की श्रेणी में ले जा सकती है, क्योंकि यह साफ है कि यह कोई अकेली घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा है। साथ ही, समाज को भी इस तरह के मामलों के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। युवतियों को सोशल मीडिया और दोस्ती के नाम पर होने वाले छल से सावधान रहना होगा। बदनामी और करियर खराब होने के डर से चुप रहने वाली छात्राओं को भी आगे आकर अपनी आवाज उठानी होगी, ताकि इस तरह के अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके।
यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि सामाजिक एकता और विश्वास को भी प्रभावित करती है। जरूरत है सख्त कार्रवाई और जागरूकता की, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।