आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार धूमधाम से देशभर में मनाया जा रहा है। द्वारका से लेकर मथुरा तक जन्माष्टमी की रौनक देखी जा रही है। जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा को भव्य तरीके से सजाया गया है। मंदिरों में जय कन्हैया लाल की…हाथी घोड़ा पालकी…के नारे गूंज रहे हैं। कण-कण शंकर की नगरी नटवर नागर के जन्मोत्सव पर कृष्णमय हो उठी। भगवान के स्वागत में देवराज इंद्र भी झूमकर बरसे। काशी की गलियों से लेकर शहर के मंदिर भी जय श्रीकृष्ण के महामंत्र से गूंज उठे।
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी के दिन को लेकर लोगों में थोड़ा कन्फ्यूजन दिखा। कई जगहों पर लोगों ने कल ही जन्माष्टमी मना लिया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में देर रात भक्तों ने भजन कीर्तन के साथ देवा के देव महादेव श्री काशी विश्वनाथ के परिसर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव मनाया। लेकिन ब्रजभूमि में तिथि को लेकर कोई मतभेद नहीं है। चाहे जन्मभूमि मंदिर हो या फिर वृंदावन में बांकी बिहारी जी का मंदिर, व्रज के सभी मंदिरों में इस आयोजन को लेकर कोई मतभेद नहीं है। यहां जन्माष्टमी का पर्व आज यानी सात सितंबर की रात में ही आयोजित होगा।
मथुरा के कटरा केशव देव मंदिर यानी जन्मभूमि मंदिर प्रबंधन के मुताबिक ठाकुर जी का जन्मोत्सव 7 सितंबर की रात बड़े धूमधाम से आयोजित किया जाएगा। इसी प्रकार वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर के गोस्वामियों ने बताया कि 7 सितंबर को ही जन्मोत्सव का जश्न होगा। इसी प्रकार गोकुल, द्वारिकाधीश मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, राधा रमण मंदिर, निधिवन और श्याम सुंदर मंदिर समेत सभी मंदिरों में 7 सितंबर को ही श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जा रही है। वहीं अगले दिन यानी 8 सितंबर को नंदोत्सव मनाया जाएगा।
बता दें कि ब्रजभूमि समेत समूचे देश में जन्माष्टमी का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बड़ी संख्या में सनातनधर्मी व्रत रखते हैं और विभिन्न मंदिरों में जाकर ठाकुर जी के दर्शन पूजन करते हैं। रात में 12 बजे जब भगवान का अवतरण होता है और मंगलाआरती होती है, उसके बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। चूंकि इन दिनों हर तीज त्यौहारों में दो तिथियों का चलन हो गया है, ऐसे में लोगों के मन में यह भ्रम की स्थिति बन गई है कि जन्माष्टमी आज है या कल।
श्रीलाडली जगमोहन मंदिर के महंत श्रीकृष्ण दास कहते हैं कि जन्माष्टमी को लेकर कोई दो राय नहीं है। ब्रजभूमि में यह पर्व सात सितंबर को मनाया जाएगा। देश के बाकी हिस्सों में भी यह आयोजन सात सितंबर को ही हो रहा है। भगवान की जन्मभूमि पर भी सात सितंबर को आयोजन होगा। इसके लिए कार्यक्रम घोषित कर दिया गया है। इसमें कार्यक्रम की शुरुआत रात में 11 बजे श्री गणपति एवं नवग्रह स्थापना- पूजन के साथ किया जाना है।
वहीं सहस्त्रार्चन (कमल पुष्प एवं तुलसीदल से) रात में 11:55 बजे तक होगा। इसके बाद पट बंद हो जाएगा और फिर प्राकट्य दर्शन/आरती रात्रि 12 से 12:05 बजे तक होगी। इसके बाद पयोधर महाभिषेक कामधेनु का आयोजन रात्रि 12:05 बजे से 12:20 बजे तक होगा। जबकि रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुर जी का महाभिषेक रात्रि 12:20 बजे से 12:40 बजे किया जाएगा। फिर 12:40 बजे से 12:50 बजे तक शृंगार आरती और फिर 1:25 बजे से 1:30 बजे तक शयन आरती होगी।