केंद्र सरकार के आम बजट में इस बार अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए अतिरिक्त बजट दिया है। साथ ही, नए प्रोजेक्ट को शुरू करने पर भी जोर है। इसका सीधा फायदा दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के अस्पतालों में उपचार करवाने आ रहे लाखों मरीजों को होगा। हालांकि, इस बार एम्स ने बजट में मामूली कटौती हुई है, लेकिन हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (हेफा) लोन खत्म हो गया है। ऐसे में एम्स मरीजों की सुविधाओं में विस्तार के साथ रिसर्च को बढ़ावा दे सकेगा।
बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के आम बजट में एम्स, दिल्ली को इस बार 1.33% कम बजट दिया, जबकि सफदरजंग अस्पताल और वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली को करीब 8%, डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) और अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली को करीब 16%, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और श्रीमती सुचिता कृपलानी अस्पताल को करीब 8% और कलावती सरन बाल चिकित्सालय को करीब 12% अधिक बजट दिया गया है। बजट में एम्स को हेफा लोन के तहत ब्याज व मूलधन के रूप में कोई फंड नहीं दिया गया है, जबकि पिछली बार ब्याज के रूप में 24 करोड़ और मूलधन के रूप में 52.50 करोड़ रुपये का बजट मिला था।
बजट में सफदरजंग और आरएमएल को नए प्रोजेक्ट के लिए अतिरिक्त कैपिटल बजट दिया गया है। सफदरजंग अस्पताल में बनने वाले मदर एंड चाइल्ड ब्लॉक के साथ छात्रों के लिए नए हॉस्टल सहित अन्य प्रोजेक्ट को गति देने के लिए इस बार कैपिटल बजट के रूप में 155 करोड़ रुपये दिए गए हैं, जबकि पिछले वर्ष 128.27 करोड़ रुपये मिले थे। इसके अलावा इस बार छात्रों में रिसर्च को बढ़ावा देने सहित मरीजों के लिए सुविधाओं का भी विस्तार किया जाना है।
वहीं, आरएमएल में नए हॉस्टल के निर्माण सहित अन्य प्रोजेक्ट के लिए कैपिटल बजट को बढ़ाया गया है। इस बार आरएमएल को 370.75 करोड़ का बजट कैपिटल के तौर पर मिला है, जबकि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 192 करोड़ रुपये का था, जबकि लेडी हार्डिंग व कलावती के कैपिटल बजट में कटौती की गई है।