पंजाब कांग्रेस के बड़े नेता रवनीत सिंह बिट्टू मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए। सांसद बिट्टू पंजाब के दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के प्रपौत्र हैं। भाजपा में शामिल होने वाले बिट्टू सियासत में राजनीतिक विरासत रखने वाले इकलौते नेता नहीं हैं। केरल में अनिल एंटनी, पद्मजा वेणुगोपाल से लेकर महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण, तो झारखंड में सीता सोरेन तक, यह शृंखला बेहद लंबी है।
दरअसल, भाजपा की रणनीति विरासत पर कब्जा कर मुख्य विपक्षी कांग्रेस को कमजोर करने के साथ परिवार आधारित क्षेत्रीय दलों को चुनाव मैदान में बैकफुट पर धकेलने की है। भाजपा ने उन्हीं राज्यों में विरासत पर कब्जे का दांव चला है, जहां पार्टी या तो सांगठनिक स्तर पर अपने प्रतिद्वंद्वी से कमजोर है, या राज्य की ऐसी प्रभावशाली जातियां, जहां पार्टी की पैठ उसकी योजना के मुताबिक मजबूत नहीं है। इस क्रम में पार्टी ने खुद के लिए अपेक्षाकृत कमजोर राज्य केरल और पंजाब में सियासी विरासत वाले परिवारों को साधने में खास दिलचस्पी ली है। पार्टी ने महाराष्ट्र, झारखंड, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में भी विरासत पर कब्जा करने पर जोर लगाया है।
केरल : सेंध के जरिये खाता खोलने की उम्मीद
20 लोकसभा सीटों वाले केरल में खाता खोलना भाजपा का सपना रहा है। इसे पूरा करने के लिए पार्टी ने राज्य के दो ताकतवर सियासी परिवारों में सेंध लगाई है। पहले कांग्रेस के दिग्गज नेता एके एंटनी के पुत्र अनिल एंटनी को साधा। फिर राज्य के सीएम रह चुके के करुणाकरण की बेटी पद्मजा वेणुगोपाल को साधने में सफलता हासिल की। बीते चुनाव में पांच सीटों पर एक लाख से अधिक वोट हासिल करने वाली भाजपा विरासत में सेंध से खाता खोलने की उम्मीद पाले है।
पंजाब : खुद के दम पर चमत्कार के लिए लगाई सेंध
सिख बाहुल्य सूबे में भाजपा सीटें तो जीतती रही, मगर अपने दम पर चमत्कार नहीं दिखा पाई। इस बार पार्टी ने कांग्रेस से जुड़े 3 अहम सियासी परिवारों पर कब्जा करने में सफलता हासिल की है। सीएम रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह परिवार संग भाजपा में हैं। जाखड़ परिवार के वारिस सुनील जाखड़ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं। कई बार सांसद रह चुके और दिवंगत मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के प्रपौत्र रवनीत सिंह बिट्टू ने भाजपा का दामन थाम लिया है।
हरियाणा : तीन परिवारों में बनाई पैठ, बिश्नोई व जिंदल पाले में
जाट बिरादरी के प्रभाव वाले इस राज्य में सीएम रहे भजन लाल के पुत्र कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा ने कांग्रेस में सक्रिय रहे जिंदल परिवार के वारिस नवीन जिंदल और देवीलाल के छोटे बेटे रणजीत सिंह चौटाला को साधा। उन्हें भाजपा में शामिल होने के चंद घंटे बाद ही कुरुक्षेत्र और हिसार से टिकट से नवाजा गया।
महाराष्ट्र: जीत की अनिश्चितता खत्म करने की कोशिश
48 सीटों वाले महाराष्ट्र में एनसीपी, शिवसेना दो फाड़ हो गई है। जीत की अनिश्चितता खत्म करने के लिए पार्टी विरासत पर कब्जे को प्राथमिकता दे रही है। चव्हाण परिवार के वारिस व सीएम रहे अशोक चव्हाण अब भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं। पार्टी ठाकरे परिवार की विरासत में सेंध के लिए मनसे प्रमुख राज ठाकरे को साधने में जुटी है।
झारखंड: सोरेन परिवार की बड़ी बहू को टिकट
आदिवासी बहुल इस सूबे में भाजपा का इस वर्ग में मजबूत पैठ में शिबू सोरेन परिवार बड़ी बाधा है। यहां सोरेन परिवार का चार दशकों से दबदबा रहा है। भाजपा ने सीता सोरेन को साधकर परिवार में सेंध लगा दी है। सीता दिग्गज नेता शिबू सोरेन की पुत्रवधु और जेल में बंद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी हैं। सीता दुमका से प्रत्याशी हैं।
यूपी: सियासी दृष्टि से सबसे अहम और पेचीदा सामाजिक समीकरण वाले यूपी में भाजपा बहुगुणा और सोनेलाल परिवार की विरासत को पहले ही साध चुकी है। बहुगुणा परिवार के सभी सदस्य भाजपा में हैं। वहीं, सोनेलाल पटेल की विरासत संभालने वाली अपना दल एस फिर भाजपा संग है।