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Monday, May 6, 2024

भारत-मिस्र के बीच बनी यह सहमति,भारतीय उद्योगों को मिलेगी विशेष जगह स्वेज नहर आर्थिक जोन में

भारत और मिस्र ने फिर से गुटनिरपेक्ष आंदोलन (एनएएम) के संस्थापक मूल्यों, अंतरराष्ट्रीय कानून और सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के बीच गुरुवार को हुई वार्ता के दौरान इस पर सहमति जताई थी। इस बैठक में दोनों नेताओं ने साझा हितों को ध्यान में रखते हुए द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर व्यापक चर्चा की थी।

बैठक के बाद जारी किए गए संयुक्त बयान में इस बात का उल्लेख किया गया है कि मिस्र की सरकार स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र (एससीईजेड) में भारतीय उद्योगों के लिए एक विशेष क्षेत्र को आवंटित करने की संभावना पर विचार कर रही है। इसके लिए भारत सरकार मास्टर प्लान का सुझाव दे सकती है। बता दें, भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ने वाली स्वेज नहर दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापार मार्गों में से एक है। वैश्विक व्यापार का लगभग 12 प्रतिशत प्रतिदिन इस नहर से होकर गुजरता है।

बयान में कहा गया है कि मिस्र में उपलब्ध निवेश अवसरों का उपयोग करने के लिए भारत विदेशी निवेश स्थापित करने में सक्षम अपनी कंपनियों को प्रोत्साहित करेगा। बयान के मुताबिक, इसके मद्देनजर मिस्र सरकार स्वेज नहर आर्थिक क्षेत्र (एससीईजेड) में भारतीय उद्योगों के लिए एक विशेष क्षेत्र को आवंटित करने की संभावना पर विचार कर रही है, और भारतीय पक्ष मास्टर प्लान की व्यवस्था कर सकता है।

गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि थे अल-सीसीमिस्र के राष्ट्रपति अब्लेद फतह अल-सीसी तीन दिवसीय दौरे पर मंगलवार को दिल्ली पहुंचे और गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। संयुक्त बयान में कहा गया है कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति अल-सीसी ने राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग, आर्थिक जुड़ाव, मजबूत वैज्ञानिक और शैक्षणिक सहयोग के साथ-साथ व्यापक सांस्कृतिक और लोगों के बीच संपर्क के आधार पर द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की। साथ ही दोनों देशों ने बहुपक्षवाद, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों, अंतरराष्ट्रीय कानून, गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक मूल्यों और सभी देशों की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई

हालांकि, बयान में किसी भी देश का उल्लेख नहीं किया गया है। लेकिन चीन की आक्रामक सैन्य ताकत और रूस-यूक्रेन युद्ध से बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का संदर्भ आया है। बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष सांस्कृतिक और सामाजिक मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय स्तरों पर नियमित परामर्श और समन्वय के जरिए इन बुनियादी सिद्धांतों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

विदेश नीति के तहत आतंकवाद के इस्तेमाल की निंदाबैठक के दौरान पीएम मोदी और अल-सीसी ने दुनिया भर में आतंकवाद के प्रसार पर चिंता व्यक्त की और इसे मानवता के लिए गंभीर सुरक्षा खतर बताया। बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने विदेश नीति के तहत आतंकवाद के उपयोग की निंदा की। साथ ही आतंकवाद के खिलाफ कठोर कार्रवाई का आह्वान किया।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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