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Friday, April 26, 2024

22 साल पुराने साथी का भी सपना टूटा,बेटे के सामने फाइनल हारीं सानिया मिर्जा बोलीं- ये खास पल हैं

भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा को अपने आखिरी ग्रैंड स्लैम में हार का सामना करना पड़ा है। सानिया मिर्जा और रोहन बोपन्ना की भारतीय जोड़ी को ब्राजील की लुइसा स्टेफनी और राफेल माटोस ने 6-7, 2-6 के अंतर से हराया। इस हार के साथ ही सानिया के कई सपने टूट गए। वह अपने आखिरी ग्रैंड स्लैम में विजयी विदाई चाहती थीं, लेकिन यह नहीं हो सका। सानिया का बेटा इजहान भी यह मैच देख रहा था और अपने बेटे के सामने वह ग्रैंड स्लैम जीतने का गौरव नहीं हासिल कर पाईं।

सानिया ने फाइनल में हार के बाद कहा कि बेटे के सामने ऑस्ट्रेलियन ओपन का फाइनल खेलना उनके लिए बेहद खास पल हैं। सानिया ने पहले ही एलान कर दिया था कि ऑस्ट्रेलियन ओपन उनका आखिरी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट होगा। उन्होंने इस टूर्नामेंट में दो श्रेणी में हिस्सा लिया था। महिला युगल में सानिया ने कजाखस्तान की अन्ना दानिलिना के साथ जोड़ी बनाई थी, ये दोनों दूसरे दौर में हारकर बाहर हो गई थीं। मिश्रित युगल में सानिया ने रोहन बोपन्ना के साथ मिलकर कमाल किया और फाइनल में जगह बनाई। हालांकि, फाइनल में हार के साथ उनका अपने आखिरी ग्रैंड स्लैम में चैंपियन बनने का सपना टूट गया।

सानिया मिर्जा ने पहली बार 14 साल की उम्र में मिश्रित युगल श्रेणी में भाग लिया था। रोहन बोपन्ना ही उनके पहले पुरुष जोड़ीदार थे और इन दोनों राष्ट्रीय खिताब जीता था। हालांकि, 22 साल पुरानी यह जोड़ी अपने आखिरी ग्रैंड स्लैम में जीत से एक कदम दूर रह गई। 36 साल की सानिया और 42 साल के रोहन अपने करियर के आखिरी पड़ाव पर हैं। सानिया दो टूर्नामेंट बाद ही संन्यास लेंगी और रोहन भी जल्द ही संन्यास ले सकते हैं।

छह बार की ग्रैंड स्लैम चैंपियन सानिया मिर्जा ने कहा, “रोहन 14 साल की उम्र में मेरे पहले मिश्रित-युगल साथी थे और हमने राष्ट्रीय खिताब जीता था। यह बहुत समय पहले की बात है, 22 साल पहले, और मैं उनसे बेहतर व्यक्ति के बारे में नहीं सोच सकती। यहां अपना करियर खत्म करने और फाइनल खेलने के लिए वह मेरे सबसे अच्छे दोस्तों और सबसे अच्छे जोड़ीदारों में से एक हैं। मेरा ग्रैंड स्लैम करियर खत्म करने के लिए कोई बेहतर जगह नहीं है।”

पाकिस्तान के पूर्व क्रिकेट कप्तान शोएब मलिक से शादी करने वाली मिर्जा का एक छोटा बेटा इजहान है और उन्होंने कहा कि एक बड़े फाइनल में उनके सामने खेलना अविश्वसनीय था। उन्होंने कहा, “मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं ग्रैंड स्लैम फाइनल में अपने बच्चे के सामने खेल सकूंगी, इसलिए मेरे चार साल के बच्चे और मेरे माता-पिता का यहां होना वास्तव में खास है।”

सानिया ने समाज की चुनौतियों से पार पाते हुए एक खिलाड़ी के रूप में अपनी जगह बनाई और दुनिया में नाम किया। साल 2005 में उन्होंने अपने शहर हैदराबाद में डब्ल्यूटीए एकल खिताब जीता था। वह ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला थीं। इसी साल वह यूएस ओपन के चौथे दौर में पहुंची और 2007 तक शीर्ष 30 महिला खिलाड़िय में शामिल हो गईं। हालांकि, कलाई के चोट के चलते उन्हें महिला एकल की जग युगल खेल पर ध्यान देने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसके बाद उन्होंने मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाई और तीन ग्रैंड स्लैम खिताब जीते।

सानिया अगले महीने दुबई में होने वाले टूर्नामेंट के बाद टेनिस से संन्यास लेंगी। सानिया एक दशक से अधिक समय से रह दुबई में रही हैं और हाल ही में वहां एक टेनिस एकेडमी भी शुरू की है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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