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Sunday, April 28, 2024

बंगाल: चर्चा में भाजपा नेता चंदना बाउरी की जीत न पैसा, न गाड़ी और मजदूर पति, फिर भी बनीं विधायक

पश्चिम बंगाल भले ही भाजपा के हाथ से निकल गया हो लेकिन पार्टी की एक महिला उम्मीदवार की जीत काफी चर्चा में है। चंदना बाउरी के पास संपत्ति के नाम पर कुछ हजार रुपये, तीन गाय, तीन बकरियां और एक झोपड़ी है।

नई दिल्ली, रविवार को पश्चिम बंगाल के नतीजे सबके सामने आ गए। पश्चिम बंगाल में भले ही भाजपा 200 का वो जादुई आंकड़ा ना पार कर पाई हो लेकिन भाजपा की एक महिला विधायक की जीत खूब चर्चा में है। भाजपा के टिकट पर सालतोरा सीट से चुनाव लड़ने वाली चंदना बाउरी ने टीएमसी के संदीप मंडल को पछाड़ दिया है। 

चंदना बाउरी की जीत इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि वो एक साधारण परिवार से आती हैं और संपत्ति के नाम पर उनके पास एक झोपड़ी और कुछ पैसे हैं। भाजपा नेता सुनील देवधर ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चंदना बाउरी की अबतक की जमापूंजी कुल 31,985 रुपये है। उन्होंने बताया कि चंदना एक अनुसूचित जाति से आती हैं, एक झोपड़ी में रहती हैं, वह एक मजदूर की पत्नी हैं और संपत्ति के नाम पर उनके पास तीन गाय और तीन बकरियां हैं। 

संपत्ति का ब्यौरा
चुनाव आयोग में दिए गए शपथ पत्र में चंदना के बैंक खाते में सिर्फ 6335 रुपये हैं। संपत्ति के नाम पर चंदना के पास तीन गाय, तीन बकरी, एक झोपड़ी और बैंक में जमा नकद मिलाकर कुल 31,985 रुपये हैं। चंदना के घर में शौचालय भी नहीं है। पार्टी के प्रति वह इतनी ज्यादा समर्पित हैं कि प्रचार के लिए रोजाना कमल के प्रिंट वाली भगवा रंग की साड़ी पहनकर निकलती हैं।
मजदूर हैं चंदना के पति
बताया जा रहा है कि चंदना बाउरी के पति सरबन मजदूरी करते हैं। वह राजमिस्त्री का काम करते हैं। पति और पत्नी दोनों मनरेगा में पंजीकृत मजदूर हैं। उनके तीन बच्चे भी हैं। चंदना पिछले सात-आठ साल से भाजपा से जुड़ी हुई हैं। टीएमसी ने चंदना के खिलाफ संतोष मंडल को चुनावी मैदान में उतारा था।

किन मुद्दों पर लड़ा चुनाव?
बता दें कि चंदना अपने क्षेत्र में लोगों के बीच गईं और भाजपा की खूबियां गिनाते हुए टीएमसी पर हमला बोला। वह गंगाजलघाटी के केलाई गांव स्थित अपने घर से रोजाना सुबह आठ बजे चुनाव प्रचार के लिए निकलती थीं। उन्होंने लोगों से महिला संबंधी अपराधों, गरीबी, शिक्षा और पीने के पानी जैसे मुद्दों पर वोट मांगा।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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