बरेली (उत्तर प्रदेश): जिले की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने लव जिहाद के मामले में मोहम्मद आलिम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सोमवार, 30 सितंबर 2024 को अदालत ने इस सजा के साथ आलिम पर 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। साथ ही, इस अपराध में सहयोग देने वाले उसके पिता साबिर को 2 साल की जेल की सजा दी गई है। न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने अपने फैसले में लव जिहाद को जनसंख्या वृद्धि और धर्मांतरण की अंतरराष्ट्रीय साजिश करार दिया, जिससे देश की एकता और संप्रभुता को खतरा हो सकता है।
लव जिहाद को जनसंख्या वृद्धि का हथियार बताया
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि लव जिहाद का इस्तेमाल कुछ धर्म विशेष के लोग जनसंख्या बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। कोर्ट ने चिंता व्यक्त की कि यह एक गहरी साजिश है, जिसमें विदेशी फंडिंग भी शामिल हो सकती है। जस्टिस दिवाकर ने चेतावनी दी कि अगर इस प्रवृत्ति पर अंकुश नहीं लगा, तो भविष्य में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
क्या था मामला?
मामला 2022 का है, जब आलिम ने खुद को “आनंद” के रूप में प्रस्तुत कर एक हिंदू लड़की से दोस्ती की थी। वह मंदिरों में जाता और हाथ में कलावा भी बांधता था। धीरे-धीरे उसने पीड़िता के साथ संबंध बनाए और 13 मार्च 2022 को मंदिर में उसकी मांग भर दी। इसके बाद उसने कई बार पीड़िता का यौन शोषण किया। गर्भवती होने पर जब पीड़िता ने शादी के लिए दबाव डाला, तो आलिम ने गर्भपात करवाकर शादी से इनकार कर दिया।
मई 2023 में पीड़िता को पता चला कि आलिम मुस्लिम है। जब वह आलिम के घर पहुंची और सच्चाई बताई, तो उसके परिजनों ने उसकी पिटाई की। आलिम के पिता साबिर ने उसे इस्लाम कबूल करने और निकाह का विकल्प दिया, जिसे पीड़िता ने ठुकरा दिया। इसके बाद पीड़िता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, और आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया गया।
सजा और कानूनी कार्रवाई
लगभग सवा साल चली सुनवाई के बाद, कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आलिम को उम्रकैद और उसके पिता को 2 साल की सजा सुनाई। साथ ही, कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि भारत में ऐसी घटनाएँ पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे हालात पैदा कर सकती हैं, यदि इस पर रोक नहीं लगाई गई।