देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ के डीजी कुलदीप सिंह की फेयरवेल के लिए जोरशोर से तैयारी शुरू हो गई हैं। उनका कार्यकाल 30 सितंबर को खत्म हो रहा है। गुरुग्राम स्थित बल के ग्रुप सेंटर पर फेयरवेल परेड के लिए विभिन्न हिस्सों से लगभग 900 जवान एक सितंबर से पहले ही रिपोर्ट कर चुके हैं।
इस बाबत बल मुख्यालय द्वारा 22 अगस्त को आदेश जारी किया गया था। इस परेड में कुल आठ कंटिंजेंट ‘9/9 ब्लॉक फॉरमेशन में हिस्सा लेंगे। बल के सैंकड़ों अधिकारी भी ग्रुप सेंटर पर पहुंचेंगे। सीआरपीएफ के पूर्व अफसर कहते हैं, ये आयोजन मोदी सरकार की खर्च घटाओ नीति को झटका देता है। डीजी की विदाई पर करोड़ों रुपये खर्च होंगे। ये पैसा किसी रचनात्मक कार्य पर खर्च नहीं हो रहा। दूसरा, फेयरवेल परेड में बल के अधिकारियों और जवानों का समय व्यर्थ होगा।
इन अधिकारियों और जवानों को मिली है जिम्मेदारी
सीआरपीएफ मुख्यालय ने परेड के लिए चुनींदा अधिकारियों और जवानों को बुलाया है। कौन अफसर परेड को कमांड करेगा और कौन ड्रिल देखेगा, ये सब जिम्मेदारियां तय की गई हैं। परेड के लिए कमांडेंट सूरज पाल वर्मा, दीपक ढोंढियाल, आनंद कुमार जेरई और एसएस महाराणा की ड्यूटी लगाई गई है। टूआईसी स्तर के अधिकारियों में अजय सिंह परमार, तेजिंद्र कौर, संजीव चौधरी व दिनेश कुमार सिंह को रखा गया है। डिप्टी कमांडेंट रैंक में पवन कुमार ढुल, आनंदी दयाल, अरविंद, रमेश कुमार व धर्मदास हैं। इंस्पेक्टर देवेंद्र सिंह, भूपेंद्र सिंह, सोना राम, ज्ञानेंद्र सिंह, गुजराज जेना व राकेश कुमार को बतौर ‘फ्लैग बियरर’ की ड्यूटी सौंपी गई है। कमेंटेटर की भूमिका में सहायक कमांडेंट राकेश रमन, अनूभा और तेजस्विता को रखा गया है। ड्रिल इंस्ट्रक्टर के तौर पर इंस्पेक्टर सत्येंद्र कुमार, सुनील शर्मा, एसआई मनोज कुमार, एएसआई रमेश कुमार, एएसआई वघेला प्रकाश सिंह, हवलदार सुनील कुमार, दिनेश धामा, विजय कुमार, बेदपाल, ताराचंद व डी गंगाधर्म सहित 23 कर्मी शामिल किए गए हैं। एडम स्टाफ ड्यूटी के लिए भी अनेक हवलदार व सिपाहियों को लगाया गया है।
सीआरपीएफ को महंगी पड़ती है डीजी की विदाई परेड
देश में उतार-चढ़ाव वाली आर्थिक स्थिति के मद्देनजर केंद्र सरकार ने अपने कई खर्चों में कटौती की है। दूसरी तरफ सीआरपीएफ महानिदेशक की विदाई परेड, जो 30 सितंबर को होनी है, उसके लिए एक महीना पहले ही तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। कमांडेंट रैंक के चार अधिकारी, सेकंड इन कमांड के चार अफसर एवं डिप्टी कमांडेंट रैंक के छह एवं असिस्टेंट कमांडेंट रैंक के 15 अधिकारियों और सैकड़ों अधीनस्थ अधिकारियों व हजारों जवान, ग्रुप सेंटर पर पहुंच चुके हैं। परेड एवं खानपान की व्यवस्था के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से अफसरों और जवानों को बुलाया गया है।
सीआरपीएफ के पूर्व एडीजी एसपी सिंह बताते हैं, बल पर इतने बड़े खर्च का भार डालना ठीक नहीं है। विदाई देने का कोई दूसरा तरीका अपनाया जा सकता है। मुख्यालय स्तर पर समारोह आयोजित करने का विकल्प मौजूद है। जो अधिकारी व जवान, इस परेड में शामिल होंगे, एक माह के उनके वेतन व भत्तों का हिसाब लगाएं तो वह करोड़ों में पहुंच जाएगा। जैसे सीआरपीएफ डे पर परेड होती है, अगर उसके आसपास कोई डीजी रिटायर होता है तो उसके लिए परेड हो सकती है। वजह, उस वक्त जवान संबंधित ग्रुप सेंटर पर तैयारी कर रहे होते हैं। ऐसे में वे फेयरवेल परेड का हिस्सा बन सकते हैं। विदाई के लिए स्पेशल परेड आयोजित करने का कोई औचित्य नहीं है।
भारत सरकार तो वीआईपी संस्कृति को घटा रही है
बल के पूर्व अफसरों का कहना है कि भारत सरकार, वीआईपी संस्कृति को घटाने में लगी है। सीआरपीएफ में डीजी फेयरवेल परेड के नाम पर उसे बढ़ावा दिया जा रहा है। पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के मैनुअल के अनुसार, डीजी विदाई परेड के लिए डिप्टी कमांडेंट रैंक के अधिकारी परेड कमांडर, असिस्टेंट कमांडेंट रैंक के अधिकारी परेड कमांडर होंगे। परेड के लिए कुल तीन कंपनी की संख्या के बराबर जवान तैनात किए जाएंगे। सीआरपीएफ, देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात है और ऑपरेशनल ड्यूटी पर जवानों की कमी का सामना करना पड़ता है, ऐसे में डीजी विदाई परेड का आयोजन समझ से परे है। इतने अफसरों और जवानों के आवागमन व अन्य व्यवस्थाओं पर आने वाले करोड़ों के व्यय का भार सीआरपीएफ द्वारा ही वहन किया जाएगा। ये खर्च, बल की किसी न किसी मद में गलत तरीके से ही जुड़ेगा।