18.1 C
Delhi
Thursday, November 21, 2024

आज रिहा हो रहे बाहुबली आनंद मोहन, क्या इनके कारण छूट रहे बाकी 26

1994 में भारतीय प्रशासिनक सेवा (IAS) अधिकारी और गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी (DM) जी. कृष्णैया की मॉब लिंचिंग कराने के दोषी बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह अंतिम तौर पर आज जेल-मुक्त हो जाएंगे। राजनीति के लिहाज से यह एक राजपूत नेता की रिहाई है। दिवंगत IAS Krishnaiah की पत्नी उमा देवी इस रिहाई पर दु:ख जता चुकी हैं। रिहाई के एक दिन पहले पटना हाईकोर्ट में इसके खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दायर हुई है। इन सभी के साथ बिहार में इस बात पर भी राजनीति चरम पर है कि आनंद मोहन के बहाने सरकार ने ‘सत्तासीन जाति’ के और भी ’26 दुर्दांत’ को छोड़ने का नोटिफिकेशन जारी किया है। क्या हकीकत है, क्या नहीं? क्या हो रहा और क्या होगा? जानना जरूरी है।

दरअसल, एक जमाने में बिहार पीपुल्स पार्टी की स्थापना कर क्षत्रिय राजनीति का पूरा सिस्टम खड़ा कर रहे आनंद मोहन को आज भी बिहार की राजनीति में राजपूतों के बीच प्रभावी माना जाता है।  वह कितने प्रभावी बचे हैं, यह 2024-25 के लोकसभा-विधानसभा चुनावों में पता चलेगा। वह किसके साथ रहते हैं, यह भी काफी हद तक निर्भर करेगा। इसके अलावा यह भी बड़ी बात है कि 1994 से 2005 के बीच का यह बिहार नहीं बचा है। तब और अब के युवाओं की मनोदशा में काफी अंतर है। राजनीतिक रूप से उर्वर बिहार में अब आनंद मोहन राजपूतों का वोट कितना घुमा सकेंगे, यह अभी तीर या तुक्का ही है।

आनंद मोहन के साथ कुल 27 को छोड़ने का नोटिफिकेशन जारी हुआ था। इनमें से एक की मौत पहले ही हो चुकी है। शेष 26 को छोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई और आनंद मोहन के पहले ही बहुत सारे छूट भी गए। कुछ तकनीकी कारणों से अभी रिहा नहीं हो सके हैं या उनकी रिहाई में वक्त भी लग सकता है। जहां तक जातीय समीकरण की बात है तो छोड़े जा रहे इन 27 में 8 यादव, 5 मुस्लिम, 4 राजपूत, 3 भूमिहार, 2 कोयरी, एक कुर्मी, एक गंगोता और एक नोनिया जाति से हैं। जातीय जनगणना की प्रक्रिया के बीच इनकी जातियों की चर्चा भी गरम है, फिर भी काफी प्रयास के बावजूद 27 जेल से रिहा होने वालों में 2 की जाति का पता नहीं चल सका है।
सत्तासीन जाति के हिसाब से इनकी संख्या का गणित आप खुद समझें तो बेहतर।

नहीं। आनंद मोहन को जेल-मुक्त करने के लिए सरकार ने एक नियम में बदलाव किया है। सरकारी सेवक की हत्या करने वालों को पूरी सजा से पहले रिहाई की छूट का कोई प्रावधान नहीं था। सरकार ने बाकी सजायाफ्ता की तरह सरकारी सेवक की हत्या में शामिल अपराधियों के लिए भी इस छूट का प्रावधान किया। इस नियम में बदलाव के कारण आनंद मोहन छूट रहे हैं। इस बार छूट रहे बाकी 25 अपराधियों पर सरकारी सेवक की हत्या का केस नहीं था। इसलिए यह आरोप बिल्कुल निराधार है कि आनंद मोहन के लिए बदले नियम का फायदा इन्हें मिला। दरअसल, व्यवहार या बाकी विशेष कारणों से अपराधियों को सजा के अंतिम समय में कुछ राहत मिलती है। विभिन्न अवसरों पर ऐसी रिहाई होती रहती है। बाकी 25 की रिहाई उसी तरह की है।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »