नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल रोमर ने मंगलवार को न्यूयॉर्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होने आधार आधारित प्रमाणीकरण के भारत के मॉडल की सराहना करते हुए कहा कि भारत वास्तव में दुनिया को दिखा सकता है कि इसे सही तरीके से कैसे किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी और विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री ने अपनी बैठक के दौरान आधार को अपनाने और डिजीलॉकर जैसे अत्याधुनिक समाधानों के साथ डिजिटल क्षेत्र में भारत के प्रगति की तारीफ की। प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, उन्होंने शहरी विकास के लिए भारत की ओर से की जा रही विभिन्न पहलों पर भी चर्चा की।
पीएम से मुलाकात में शहरों को टिकाऊ व लोगों के अनुकूल बनाने पर चर्चा
प्रधानमंत्री ने कहा कि पॉल रोमर से ‘व्यापक बातचीत’ जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर केंद्रित रही। इस दौरान शहरों को अधिक टिकाऊ और लोगों के अनुकूल बनाने के तरीके पर चर्चा हुई। मोदी ने ट्वीट किया, ‘प्रख्यात अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर पॉल रोमर से मिलकर खुशी हुई। हमने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने पर व्यापक बातचीत की। हमने इस बारे में भी बात की कि हमारे शहरों को अधिक टिकाऊ और लोगों के अनुकूल कैसे बनाया जाए।
अमेरिकी अर्थशास्त्री ने कहा, ‘यह एक शानदार बैठक थी। हमने सफल शहरी विकास के महत्व के बारे में बात की। वह इन मुद्दों को अच्छी तरह समझते हैं। प्रधानमंत्री ने यह अच्छी तरह से व्यक्त किया कि शहरीकरण कोई समस्या नहीं है। यह एक अवसर है। मैं इसे एक नारे के रूप में लेता हूं। भारत आधार जैसे कार्यक्रमों के साथ प्रमाणीकरण के मोर्चे पर दुनिया को रास्ता दिखा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी अपनी चार दिवसीय ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के तहत मंगलवार को अमेरिका पहुंचे और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क सहित अलग-अलग क्षेत्रों के लीडर्स से मुलाकात की।
वर्ष 2013 में पहली बार मोदी से मिले थे पॉल रोमर
विश्व बैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पॉल रोमर ने कहा कि उन्होंने पहली बार वर्ष 2013 में पीएम मोदी से मुलाकात की थी और उस समय, दोनों ने सफल शहरी विकास के महत्व और उन चीजों के बारे में बात की जो सरकार को वास्तव में शहरी विकास में मदद करने की आवश्यकता है। रोमर ने कहा, “आधार के मामले में भारत में जो कुछ हो रहा है वह वास्तव में रोमांचक है। सरकार के पास आधार प्रणाली के साथ एक नींव है जिसका अर्थ है कि वे उन चीजों को कर सकते हैं जो दुनिया भर की अधिकांश सरकारें नहीं कर सकती हैं। रोमर ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत ने जिस तरह आधार के क्षेत्र में काम किया और टेलीफोनी और इलेक्ट्रॉनिक प्रमाणीकरण के लिए इसे उपयोगी बनाया वह वास्तव में दुनिया को रास्ता दिखा सकता है कि इसे सही तरीके से कैसे किया जाए।
2018 में, रोमर ने दीर्घकालिक आर्थिक विकास और तकनीकी नवाचार के संबंध की समझ में उनके योगदान के लिए अर्थशास्त्र के लिए नोबेल पुरस्कार जीता। उनके काम ने उन तरीकों पर प्रकाश डाला जिसमें मानव आर्थिक गतिविधियों में आर्थिक विकास को बनाए रखने में मदद करने वाली तकनीकी प्रगति हासिल होती है।