देहरादून, 2 अप्रैल 2025, बुधवार। उत्तराखंड की धरती, जहां पहाड़ों की गोद में बेटियां सपने बुनती हैं, वहां अब इन सपनों को सच करने की एक नई पहल गूंज रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में मुख्यमंत्री कैंप कार्यालय से नंदा गौरा योजना के तहत 40,504 लाभार्थियों के लिए 1 अरब 72 करोड़ 44 लाख 04 हजार रुपये की धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिए वितरित की। यह राशि वित्तीय वर्ष 2024-25 का हिस्सा है, जो बेटियों के जन्म और उनकी शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए एक मजबूत कदम है। पिछले पांच सालों में इस योजना ने 2 लाख 84 हजार 559 लाभार्थियों तक पहुंच बनाई और कुल 9 अरब 68 करोड़ 64 लाख 51 हजार रुपये की सहायता प्रदान की। यह आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में बेटियों के लिए एक सुनहरा भविष्य तैयार हो रहा है।
बेटियों के लिए दोहरी खुशखबरी
नंदा गौरा योजना उत्तराखंड की उन योजनाओं में से एक है, जो बेटियों को जन्म से लेकर शिक्षा तक हर कदम पर साथ देती है। इसके तहत कन्या के जन्म पर 11,000 रुपये और 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने पर 51,000 रुपये की आर्थिक मदद दी जाती है। इस साल 8,616 नवजात बालिकाओं के परिवारों को 9 करोड़ 81 लाख 16 हजार रुपये और 31,888 12वीं पास बालिकाओं को 1 अरब 62 करोड़ 62 लाख 88 हजार रुपये की धनराशि हस्तांतरित की गई। यह राशि न सिर्फ परिवारों की आर्थिक मदद कर रही है, बल्कि बेटियों को आगे बढ़ने का हौसला भी दे रही है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का संकल्प
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मौके पर कहा, “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के संकल्प को साकार करने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। नंदा गौरा योजना के जरिए गरीब परिवारों की बेटियां न केवल शिक्षा प्राप्त कर रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की ओर भी बढ़ रही हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि राज्य में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन योजना और मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट योजना जैसी पहलें भी चल रही हैं, जो महिलाओं और बेटियों के सशक्तिकरण को नई दिशा दे रही हैं। धामी का मानना है कि बेटियों की शिक्षा और सम्मान ही समाज की प्रगति का आधार है।
एकजुट प्रयासों का परिणाम
इस आयोजन में कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या, सचिव चंद्रेश कुमार यादव, निदेशक महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास प्रशांत आर्य और विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे। यह एकजुटता इस बात का प्रतीक है कि बेटियों के लिए शुरू की गई यह मुहिम सिर्फ कागजों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीनी स्तर पर बदलाव ला रही है। रेखा आर्या ने कहा, “यह योजना बेटियों को उनके हक और सपनों तक पहुंचाने का माध्यम बन रही है।”
बेटियों का भविष्य, राज्य का गौरव
नंदा गौरा योजना सिर्फ आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि एक उम्मीद की किरण है। यह योजना बेटियों को यह संदेश देती है कि वे बोझ नहीं, बल्कि परिवार और समाज की शान हैं। जन्म से लेकर शिक्षा तक का यह सफर उन्हें आत्मविश्वास और सशक्तिकरण की राह पर ले जा रहा है। उत्तराखंड सरकार का यह प्रयास न केवल बेटियों के जीवन को रोशन कर रहा है, बल्कि पूरे राज्य को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ा रहा है।
तो आइए, इस पहल की सराहना करें और बेटियों के सपनों को उड़ान देने में अपना योगदान दें, क्योंकि बेटियां पढ़ेंगी, तो देश बढ़ेगा!