कोलकाता, 23 दिसंबर 2024, सोमवार। कोलकाता में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जहां पत्नी के दोस्त और परिवार के सदस्य पति की मर्जी के खिलाफ उसके घर में रहते थे। इस मामले में पति ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और 16 सालों तक केस चलने के बाद कलकत्ता हाई कोर्ट ने तलाक की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने माना है कि पत्नी के दोस्तों और परिवार के सदस्यों का पति की इच्छा के खिलाफ उसके घर पर लंबे समय तक रहना क्रूरता के दायरे में आता है। कोर्ट ने कहा है कि इससे पति का जीवन असंभव हो सकता है, जो क्रूरता के व्यापक दायरे में आता है। यह मामला हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि शादी में क्रूरता की परिभाषा क्या है और कैसे यह पति-पत्नी के रिश्ते को प्रभावित कर सकती है।
रिपोर्ट के अनुसार, पति ने शादी के तीन साल बाद साल 2008 में तलाक की अर्जी दाखिल की थी। उनकी शादी पश्चिम बंगाल के नवद्वीप में हुई थी और 2006 में वे कोलाघाट चले गए, जहां पति काम करता था। साल 2008 में पत्नी कोलकाता के नारकेलडांगा शिफ्ट हो गई और दावा किया कि यह उसके वर्कप्लेस सियालदह के करीब था। लेकिन, कोर्ट में जिरह के दौरान उसने दावा किया कि वह ‘असहाय स्थिति’ के कारण बाहर चली गई थी।
हालांकि, साल 2008 में पति के कोलाघाट स्थित घर से पत्नी के चले जाने के बाद भी उसका परिवार और एक दोस्त वहीं रहते रहे। इसके बाद साल 2016 में पत्नी उत्तरपाड़ा शिफ्ट हो गई। पति ने इस आधार पर क्रूरता का आरोप लगाया कि वे अलग-अलग रह रहे थे और फिर भी पत्नी के परिवार वाले उसके घर में रह रहे थे। पति ने आरोप लगाया कि वह (पत्नी) वैवाहिक संबंध या बच्चा पैदा करने में दिलचस्पी नहीं रखती थी।