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Thursday, February 6, 2025

काशी में नागनथैया की लीला का अनोखा संगम: कला और विज्ञान

वाराणसी, 4 नवंबर 2024, सोमवार: काशी के लक्खा मेलों में से एक तुलसी घाट की नागनथैया मेले की तैयारी विज्ञान की गहन निगरानी में चल रही है। गंगा के जलस्तर का मुआयना सूर्योदय से सूर्यास्त तक हर दो घंटे पर गोताखोरों द्वारा किया जा रहा है।
केंद्रीय जल आयोग के साइट के जरिए फाफामऊ से काशी तक गंगा के जलस्तर पर निगाह रखी जा रही है। नागनथैया की लीला पांच नवंबर को तुलसी घाट पर होगी। आम तौर पर कार्तिक महीने में जितना जलस्तर होता है फिलहाल उससे करीब दो फुट ऊपर है।
इस वर्ष घाट किनारे की परिस्थितियां अब तक बहुत अनुकूल नहीं हो पाई हैं। लीला के लिए घाट पर कदंब की डाल एक निर्धारित ऊंचाई पर बांधी जाती है। उस डाल पर खड़े होकर भगवान श्रीकृष्ण खड़े-खड़े गंगा में कूद पड़ते हैं। जल में पहले से मौजूद गोताखोर उन्हें जल में डूबे नाग के फन पर सवार करके जल से बाहर निकालते हैं।
इस पूरी प्रकिया को निर्विध्न पूरा करने के लिए गंगा के प्रवाह की गति का दोहरा आकलन किया जा रहा है। नदी की ऊपरी धारा और पानी के नीचे प्रवाह की गति दोनों के बीच तालमेल बैठा कर ही गोताखोर विशाल नाग को गंगा में तैराते हैं।
अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र ने बताया कि काशी में नागनथैया की लीला जितनी प्राचीन है, नाग को तैयार करने और उसे जल में तैराने की कला भी उतनी ही प्राचीन है। इसमें कला के साथ ही साथ विज्ञान भी काम करता है।

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