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Monday, May 20, 2024

यदि किसी को दिल का दौरा पड़ता है तो एम्स की बाइक एंबुलेंस तुरंत मदद के लिए मौके पर पहुंच जाएगी

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) दिल्ली से पांच किलोमीटर के दायरे में यदि किसी को दिल का दौरा पड़ता है तो एम्स की बाइक एंबुलेंस तुरंत मदद के लिए मौके पर पहुंच जाएगी। दिल के मरीजों के लिए एम्स ने बृहस्पतिवार को बाइक एंबुलेंस की संख्या को दोगुना कर दिया है। एम्स की इस निशुल्क सुविधा के तहत अभी तक 800 लोगों की जान बचाई जा चुकी है। संख्या बढ़ने के बाद सुविधा में और विस्तार होगा।

एम्स में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. बलराम भार्गव की अगुवाई में मिशन दिल्ली (दिल्ली इमरजेंसी लाइफ हार्ट अटैक इनिशिएटिव) की शुरूआत की गई थी। बृहस्पतिवार को इसके दूसरे चरण की शुरूआत हुई। योजना के तहत जीवन रक्षक तकनीक के साथ स्वास्थ्यकर्मी सुसज्जित मोटरबाइक एंबुलेंस से जरूरतमंदों के घर तक पहुंचेगी।

एम्स सीएनसी से मिली जानकारी के अनुसार, अभी तक योजना में चार बाइक एंबुलेंस से सुविधा दी जा रही थी, अब इनकी संख्या बढ़ाकर आठ कर दी गई है। योजना के शुरू होने के बाद से अभी तक 800 इमरजेंसी कॉल पर टीम सेवा दे चुकी है। इन मरीजों के जांच के दौरान करीब 2500 ईसीजी की गई। 24 घंटे उपलब्ध इस सेवा में स्वास्थ्य कर्मी बाइक एंबुलेंस में क्लॉट बस्टर दवा के साथ रहते हैं, जो जरूरत पड़ने पर मरीज को उपचार के साथ दवा भी देते हैं। यदि जरूरत पड़ती है तो मरीज को एम्स इमरजेंसी भी भर्ती के लिए लाया भी जाता है।

15 मिनट में पहुंच जाती है टीम

दिल का दौरा पड़ने की सूचना मिलते ही 15 मिनट के भीतर टीम मौके पर पहुंच कर पीड़ित को उपचार देते हैं। डॉक्टरों की माने तो दिल के दौरा पड़ने पर शुरू का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है। यदि पीड़ित को समय पर उपचार मिल जाता है तो मरीज की जिंदगी बच सकती है। बाइक एंबुलेंस में जीपीएस तकनीक लगी हुई है। यह 15 मिनट के भीतर अधिकतर स्थानों तक पहुंच जाती है। टीम मौके पर पहुंचकर 12 मिनट के भीतर ईसीजी कर देती है। साथ ही जरूरत के आधार पर थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी भी करते हैं। आपातकाल स्थिति में सुविधा का लाभ लेने के लिए हेल्पलाइन नंबर 14430 पर कॉल की जा सकती है।

बुजुर्गों को पेशाब में आए दिक्कत तो बिना सर्जरी के मिलेगा उपचार

उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों में होने वाले प्रोस्टेट (पेशाब करने में दिक्कत) की समस्या के लिए अब ऑपरेशन करवाने की जरूरत नहीं रहेगी। सफदरजंग अस्पताल में जल्द ही केवल तार डालकर रोग का निवारण कर दिया जाएगा। अभी तक इसके लिए बड़ा चीरा लगाकर ऑपरेशन किया जाता रहा है, इसके बाद मरीज को लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ता है।

सफदरजंग अस्पताल के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. पुनित गर्ग ने बताया कि पुरुषों के शरीर में पाए जाने वाली प्रोस्टेट नामक ग्रंथि उम्र के साथ बढ़ने लगती है। आमतौर पर यह समस्या 60 साल के बाद पुरुषों में पाई जाती है। ऐसे में बुजुर्गों को पेशाब करने में दिक्कत होती है और कई बार तो वह पेशाब नहीं कर पाते। इस समस्या से पीड़ित रोजाना 4-5 बुजुर्ग अस्पताल पहुंचते हैं। अभी तक ऐसे मरीजों का ऑपरेशन किया जा रहा है। इसमें ज्यादा समय लगता है और रीज को ठीक होने में भी समय लगता है। ऐसे में अब इंटरवेंशनल रेडियोलोजी की मदद से केवल तार डालकर प्रोस्टेट ग्रंथि को सिकोड़ दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह सेवा जल्द ही सफदरजंग में शुरू होगी। इस नई विधि से मरीज को कम दर्द होता है और जल्दी छुट्टी भी कर दी जाती है। उन्होंने कहा कि बीते दिनों वर्धमान मेडिकल कॉलेज व सफदजंग अस्पताल द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ वैस्कुलर एंड इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी के सहयोग से आयोजित आईआर कॉन्क्लेव में इस विधि पर चर्चा की गई। यह सेवा अस्पताल में शुरू होने के बाद हर साल हजारों मरीजों को फायदा होगा।

यह होती है दिक्कत

अक्सर बुजुर्गों में मूत्र असंयम की समस्या होती है। कई लोग रुक-रुक कर पेशाब करते हैं। बहुत से लोग बिना चिकित्सकीय सहायता लिए असंयम के साथ रहते हैं। क्योंकि उन्हें डर है कि यह अधिक गंभीर बीमारी का संकेत देता है या वे इससे शर्मिंदा हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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