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Tuesday, May 7, 2024

600 इस्राइली पर्यटक हमास हमले के बाद वतन की रक्षा के लिए स्वदेश लौटे

फलस्तीन से लड़ाई के बीच वतन की रक्षा के लिए करीब 600 इस्राइली पर्यटक हिमाचल प्रदेश से स्वदेश लौट गए। कुल्लू जिले के मनाली, पार्वती घाटी और धर्मशाला में सैर-सपाटे के लिए पहुंचे ये पर्यटक इस्राइल पर हमास के हमले के बाद अपने देश और अपने परिवार वालों के प्रति चिंतित थे।

6 से 8 अक्तूबर तक मनाए गए सिमचट तोराह उत्सव के लिए अधिकतर इस्राइली पार्वती घाटी के कसोल में जमा हुए थे। इस बीच उनके देश पर आतंकी संगठन हमास ने हमला कर दिया। अपनों को खोने का डर और देशभक्ति का जज्बा लिए अधिकतर इस्राइलियों ने अपने देश का रुख किया। कई सैलानी 8 अक्तूबर की रात कसोल से टैक्सियों से दिल्ली रवाना हुए, तो कुछ भुंतर से हवाई जहाज में निकले।

सबसे अधिक इस्राइली 9 और 10 अक्तूबर को वतन लौटे। इसके अलावा 12 अक्तूबर को भुंतर से करीब 20 सैलानी हिमाचल पथ परिवहन निगम की वोल्वो बस से दिल्ली रवाना हुए। जानकारी के अनुसार जिला कुल्लू से 8 से 12 अक्तूबर तक करीब 500 इस्राइली सैलानी स्वदेश रवाना हुए हैं।

पुलिस अधीक्षक कुल्लू साक्षी वर्मा ने कहा कि जिले से अधिकतर सैलानी अपने वतन लौट गए हैं। अभी 20 से 30 इस्रालियों ही यहां रुके होने की बात सामने आ रही है। उधर, धर्मशाला से भी करीब 100 इस्राइली पर्यटक वापस चले गए, जबकि 50 अभी धर्मशाला में ही रुके हैं।

अप्रैल से अक्तूबर तक कुल्लू में रहने आते हैं इस्राइली सैलानी
बता दें कि कुल्लू में इस्राइली सैलानी अप्रैल से लेकर अक्तूबर तक रहते हैं। इसके बाद गोवा और पुष्कर की तरफ रुख करते हैं। इस दौरान कुल्लू के मनाली व कसोल में पांच उत्सव भी मनाते हैं। इसमें सिमचट तोराह उत्सव सबसे आखिरी होता है।

पार्वती घाटी इस्राइली पर्यटकों की पहली पसंद
पार्वती घाटी के पर्यटन कारोबारी किशन ठाकुर, प्रवीण ठाकुर, विजय सूद, बलदेव ठाकुर कहते हैं कि पार्वती घाटी इनकी पहली पसंद है। 80 फीसदी विदेशी यहीं घूमने आते हैं। इस्राइल पर हमले की खबर सुनकर उनके चेहरे पर चिंता साफ तौर पर देखी गई।

इस साल कुल्लू-मनाली आए 3,000 इस्राइली
पर्यटन के लिए प्रसिद्ध कुल्लू जिला में इस साल अक्तूबर तक करीब 3,000 इस्राइली सैलानी घूमने आए थे। इनमें आधे से अधिक बरसात के दौरान लौट गए थे। जो पर्यटक यहां रुके थे, वे भी अब अपने देश लौट गए हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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