लोकसभा चुनाव में एनडीए के घटक के तौर पर शामिल छोटे दलों को कोटे में भले ही एक या दो सीट मिले, लेकिन इन दलों के नेताओं पर भाजपा ने बड़ी जिम्मेदारी दे रखी है। खासकर सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और दोबारा भाजपा में शामिल होने वाले चौहान (नोनिया) बिरादरी के नेता दारा सिंह चौहान पर पूर्वांचल की उन पांच से सात से सीटों को जिताने का भी टास्क दिया गया है, जिन सीटों पर 2019 में भाजपा को हार मिली थी।
इसके साथ ही दोनों नेताओं को विपक्ष के उन पिछड़े नेताओं को भी साथ लाने की भी जिम्मेदारी दी गई है, जिनकी हारी हुई सीटों पर अच्छा प्रभाव माना जाता है और वह विपक्ष में विधायक या सांसद रहे हैं ।
दरअसल विपक्षी एकता की कवायद को देखते हुए भाजपा भी पिछले लोकसभा चुनाव से इस बार के चुनाव में और अच्छे प्रदर्शन की तैयारी कर रही है। देश का सबसे बड़ा प्रदेश होने के नाते 80 लोकसभा सीट वाले यूपी का केन्द्र में सरकार बनाने में बड़ी भूमिका होती है, इसलिए भाजपा यूपी की सभी सीटों को जीतने का लक्ष्य तय करके तैयारी में जुटी है। इसके तहत भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुनाव जीतने के लिहाज से सभी कील-कांटों को दुरुस्त कर रहा है ।
राजभर और दारा सिंह के वापस भाजपा के साथ आने से मऊ जिले की घोसी और गाजीपुर सीट की जीत के लिए फोकस होकर काम होगा। वहीं अंबेडकरनगर सीट जीतने के लिए भी भाजपा ने राजभर को टास्क दे रखा है। इसके लिए राजभर को विपक्ष के एक बड़े नेता को तोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है, जो इस समय विधायक हैं।
सूत्रों की माने तो प्रदेश की सभी 80 सीटों को जीतने पर भाजपा का फोकस तो है ही, लेकिन मौजूदा समय में उन 14 सीटों पर विशेष फोकस है, जो विपक्ष के पास हैं।
इनमें पूर्वांचल की गाजीपुर, घोसी, लालगंज, जौनपुर, अंबेडकरनगर और श्रावस्ती सीट को जीतना भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल है । इसलिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व में पार्टी के नेताओं के साथ ही राजभर और दारा सिंह को भी विशेष रूप से इन सीटों को जीताने का टास्क दे रखा है ।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा नेताओं से हुई बातचीत के दौरान सुभासपा अध्यक्ष से बाकायदे इन सीटों पर उनकी जाति की संख्या और उनके प्रभाव के बारे में भी पूछा गया था । बातचीत में यह भी पूछा गया था कि गाजीपुर और लालगंज सीट जिताने में वह कितना प्रभावी रहेंगे।
सूत्रों का कहना है कि राजभर ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को दोनों सीटें जीतने का भरोसा भी दिया है। साथ ही आश्वस्त किया है कि जल्द ही विपक्ष के कुछ बड़े नेताओं को तोड़कर एनडीए में शामिल कराएंगे। माना जा रहा है कि अगले दो-तीन महीने में पूर्वांचल की सियासत को बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
अनुप्रिया व निषाद पर भी है दबाव
सुभासपा के साथ ही एनडीए के बड़े घटक के तौर पर शामिल अपना दल (एस) की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद पर भी अपनी-अपनी विरादरी का वोट दिलवाने की जिम्मेदारी होगी।
सुभासपा, अपना दल और निषाद पार्टी के नेताओं को अपने कोटे की सीटों के अलावा विपक्षी सीटों पर अपनी-अपनी जातियों का वोट एनडीए के पक्ष में मोड़ने की जिम्मेदारी दी गई है। इसके लिए तीनों घटक दलों को विपक्षी सीटों पर अपने संगठन को बूथ स्तर पर मजबूत करने को भी कहा गया है।