40.6 C
Delhi
Saturday, May 18, 2024

संयुक्त राष्ट्र ने दी चेतावनी , यमन, बुरकीना फासो और नाइजीरिया समेत दक्षिण सूडान इलाकों में अकाल की संभावना

लगभग एक हफ्ते तक देश में जारी हिंसा से बचते-बचाते, कैलीन केनेंग के दो बच्चों की मौत उनकी आंखों के सामने हो गई। केनेंग ने बताया कि उनके बच्चे लगातार रो-रो कर कहते रहे, ‘मां भूख लगी है’ लेकिन उनके पास अपने बच्चों का पेट भरने के लिए कुछ भी नहीं था। कई दिनों तक अन्न का एक दाना तक न देखने वाली केनेंग के शरीर में इतनी भी ताकत नहीं थी कि वह अपने 5 और 7 साल के बच्चों के शव को दफना पातीं और आखिरकार वह इन दोनों को घास में लपेट कर जंगल में छोड़ आईं। 

यह कहानी है दक्षिण सूडान की, जहां बाढ़, भयावह हिंसा की वजह से अब स्थिति भुखमरी तक आ गई है। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि यमन, बुरकीना फासो और नाइजीरिया समेत दक्षिण सूडान वे चार देश हैं जिनके कुछ इलाकों में अकाल पड़ सकता है। दक्षिण सूडान के पिबोर काउंटी को इस साल भयावह हिंसा और अभूतपूर्व बाढ़ का सामना करना पड़ा था। 

भूख से तड़प-तड़प कर मर रहे बच्चे
दक्षिण सूडान देश के लेकुआंगोले शहर में सात परिवारों ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि फरवरी से नवंबर के बीच उनके 13 बच्चे भूख से मर गए। यहां के शासन प्रमुख पीटर गोलू ने कहा कि उन्हें सामुदायिक नेताओं से खबरें मिली कि सितंबर से दिसंबर के बीच वहां और आसपास के गांवों में 17 बच्चों की भूख से मौत हो गई। 

नहीं मिल रहे सही आंकड़े
‘इंटीग्रेटेड फूड सिक्योरिटी फेज क्लासिफिकेशन द्वारा इस महीने जारी की गई अकाल समीक्षा समिति की रिपोर्ट में अपर्याप्त आंकड़ों के कारण अकाल घोषित नहीं किया जा सका है लेकिन माना जा रहा है कि दक्षिण सूडान में अकाल की स्थिति है। 

क्या है अकाल की स्थिति आने का मतलब?
इसका अर्थ है कि कम से कम 20 प्रतिशत परिवारों को भोजन के संकट का सामना करना पड़ रहा है और कम से कम 30 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण के शिकार हैं। 

दक्षिण सूडान की सरकार मानने को तैयार नहीं
दक्षिण सूडान सरकार रिपोर्ट के निष्कर्षों से सहमत नहीं है। सरकार का कहना है कि अगर अकाल की स्थिति है तो इसे असफलता के तौर पर देखा जाएगा। देश की खाद्य सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जॉन पंगेच ने कहा, ‘वे अनुमान लगा रहे हैं…, हम यहां तथ्यों पर बात कर रहे हैं। वे जमीनी हकीकत नहीं जानते।’ सरकार का कहना है कि देश में 11,000 लोग भूखमरी की कगार पर हैं और यह, खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों द्वारा रिपोर्ट में बताए गए 1 लाख 5 हजार के अनुमान से बहुत कम संख्या है। 

लगातार चले गृह युद्ध से अकाल की कगार पर आए
दक्षिण सूडान, पांच साल तक चले गृह युद्ध से उबरने का संघर्ष कर रहा है। खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भूख का संकट जंग की स्थिति लगातार बने रहने के कारण ही उत्पन्न हुआ है। वर्ल्ड पीस फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक अलेक्स डी वाल ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है, दक्षिण सूडान सरकार न केवल उसकी गंभीरता को अनदेखा कर रही है, बल्कि इस तथ्य को भी नकार रही है कि इस सकंट के लिए उसकी अपनी नीतियां और सैन्य रणनीति जिम्मेदार है।

anita
anita
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,912FollowersFollow
0SubscribersSubscribe
- Advertisement -spot_img

Latest Articles