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Thursday, May 9, 2024

विदेशी राजदूतों का प्रतिनिधिमंडल आज फिर दो दिवसीय जम्मू कश्मीर के दौरे पर

केंद्र सरकार की पहल पर विदेशी राजनयिकों का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार 17 फरवरी को जम्मू कश्मीर का दौरा करेगा। प्रतिनिधिमंडल में यूरोप और अफ्रीका के राजनयिक शामिल होंगे। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल की मुलाकात जम्मू कश्मीर के शीर्ष अधिकारियों और राजनेताओं से भी होगी।

विदेश मंत्रालय की देखरेख में तय की गई इस यात्रा में मुख्य रूप से यूरोपीय देशों से राजदूतों और वरिष्ठ राजनयिकों का एक समूह शामिल होगा। इसका मकसद जम्मू और कश्मीर घाटी के हालात से लोगों को वाकिफ कराना होगा। बताना चाहेंगे कि साल 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद- 370 को खत्म किए जाने के बाद विदेशी राजनयिकों का यह तीसरा दौरा होगा। इससे पहले अक्टूबर 2019 और फिर जनवरी 2020 में भी राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल वहां गये थे।

राजनयिकों के दौरे से जुड़ी प्रमुख बातें…

इस दौरे में मुख्य रूप से यूरोपीय देशों के राजदूत और वरिष्ठ राजनयिकों का एक समूह शामिला होगा।

अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से यूरोपीय संघ सहित विभिन्न देशों के दूतों की यह तीसरी यात्रा है।

यह प्रतिनिधिमंडल 17 फरवरी को श्रीनगर पहुचेगा और उसके बाद 18 को जम्‍मू । लगभग 20 दूतों और वरिष्ठ राजनयिकों के समूह की श्रीनगर के बाहरी इलाकों जिनमें बड़गाम के हजरतबल मंदिर, डल झील और एक कॉलेज जाने उम्मीद है।

प्रतिनिधिमंडल के सदस्‍य नेताओं, नागरिक समाज समूहों के सदस्यों और व्यवसायियों के साथ बातचीत कर सकते हैं।

इस दौरे से पहले बीते साल जनवरी और फरवरी में जम्मू कश्मीर में विदेशी दूतों के दो समूह जम्मू कश्मीर का दौरा कर चुके हैं, लेकिन बाद में वैश्विक स्तर पर फैली कोरोनोवायरस महामारी के कारण यात्रा को सरकार द्वारा रोक दिया गया था।

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने राजनयिकों के इस दौरे को “विश्व समुदाय को भ्रमित करने” के भारत के प्रयासों का एक हिस्सा बताया है।

वहीं भारत ने पाकिस्तान की इस टिप्पणी को अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताया है और इसे सिरे से खारिज कर दिया है।

दूसरे दिन जम्मू में इन लोगों से मिलेगा प्रतिनिधिमंडल

बताया जा रहा है कि दूसरे दिन राजनयिकों का प्रतिनिधिमंडल जम्मू का दौरा करेगा, जहां वे डीडीसी सदस्यों और कुछ सामाजिक संगठनों के प्रमुखों के अलावा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भी मुलाकात करेगा। सरकार द्वारा प्रचार प्रसार के लिए एक और कूटनीतिक कवायद की जा रही है। इसके जरिए विदेशी राजनयिकों को कश्मीर घाटी में कानून-व्यवस्था की स्थिति से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सुरक्षा स्थिति के बारे में बताया जाएगा, विशेष रूप से भारत के माध्यम से आतंकवादियों को भारत में धकेलने के पाकिस्तान के प्रयास नियंत्रण रेखा और लगातार संघर्षविराम उल्लंघनों के बारे में भी बताया जाएगा।

इस पहले अमेरिका सहित 17 देशों के राजनयिकों ने जम्मू और कश्मीर का दौरा किया था। टीम में वियतनाम, दक्षिण कोरिया, ब्राजील, उज्बेकिस्तान, नाइजर, नाइजीरिया, मोरक्को, गुयाना, अर्जेंटीना, फिलीपींस, नॉर्वे, मालदीव, फिजी, टोगो, बांग्लादेश और पेरू के राजदूत भी शामिल थे।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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