सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को दो दिन के अंदर वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए गठित आयोग पर अपना हलफ़नामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि आयोग के गठन के बाद क्या कार्रवाई की जा रही है। सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में अब प्रदूषण के आंकड़े बेहतर हुए हैं। इस पर याचिकाकर्ता आदित्य दुबे की ओर से पेश वकील विकास सिंह ने कहा कि इस आयोग में 18 में से केवल 4 सदस्य हैं और उन्होंने कुछ भी नहीं किया है। उन्होंने कहा कि यह सार्वजनिक आपातकाल है और केंद्र को दो दिन क्यों लगने चाहिए। केंद्र कोर्ट को ये बताए कि आयोग ने क्या किया है।
6 नवम्बर को सुनवाई,-पिछले 6 नवम्बर को सुनवाई के दौरान तुषार मेहता ने बताया था कि प्रदूषण पर लगाम के लिए घोषित आयोग के सदस्यों के नाम तय कर दिए गए हैं। केंद्र सरकार ने आयोग के जिन पदाधिकारियों के नाम अधिसूचित किया था उनमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पूर्व सचिव एमएम कुट्टी आयोग के अध्यक्ष के अलावा आयोग के 14 और सदस्य थे। इनमें अलग-अलग विभाग के अधिकारी, विशेषज्ञ, दिल्ली, हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब के अधिकारी भी शामिल हैं। आयोग को दिल्ली के आस-पास की हवा की स्वच्छता के लिए निर्देश देने का अधिकार है। आयोग के निर्देश न मानने वाले उद्योग के अधिकारियों और व्यक्तियों को पांच साल तक की सजा हो सकती है।
29 अक्टूबर की सुनवाई-पिछले 29 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए नए आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। तब कोर्ट ने कहा था कि अधिसूचना की प्रति दाखिल कीजिए और याचिकाकर्ता को भी उसकी प्रति दें।
26 अक्टूबर की सुनवाई-पिछले 26 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने बताया था कि तीन-चार दिनों में नया कानून लाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के आग्रह पर समस्या से निपटने का ज़िम्मा पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की कमिटी को सौंपने का अपना आदेश स्थगित कर दिया था। पिछले 16 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाए जाने की समस्या पर नियंत्रण के लिए पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर की एक सदस्यीय कमिटी का गठन किया था।