अमेरिका के टेक्सास में एक पाकिस्तानी आतंकी ने यहूदी मंदिर पर हमला कर चार लोगों को बंधक बना लिया है। इन यहूदियों के बदले उसने आफिया सिद्दीकी को रिहा करने की मांग की है। आफिया को अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के खिलाफ साजिश रचने और उन पर जानलेवा हमले कराने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। न्यूयॉर्क कोर्ट के फैसले के बाद उन्हें 86 साल की जेल सजा सुनाई गई। फिलहाल वह अमेरिका की जेल में ही बंद है।
आखिर कौन है आफिया?
आफिया सिद्दीकी आतंक की दुनिया का वह नाम, जिससे कई सरकारें कांप उठती हैं। एक खूंखार आतंकी के तौर पर पहचानी जाने वाली आफिया को लेडी अलकायदा के नाम से भी जाना जाता है। पाकिस्तानी नागरिक और पेशे से न्यूरोसाइंटिस्ट आफिया ने एक समय FBI की नाक में भी दम करके रख दिया था। आफिया सिद्दीकी मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से न्यूरोसाइंस में पीएचडी है।
क्यों कहा जाता है लेडी अलकायदा
आफिया का दूसरा नाम लेडी अलकायदा भी है। यह नाम उसे ऐसे ही नहीं दिया गया। दरअसल, आफिया पर अलकायदा से जुड़े होने का अरोप है। वह एक-दो नहीं कई बड़ी आतंकी घटनाओं के पीछे रही है। उस पर अफगानिस्तान में अमेरिकी खुफिया एजेंट, सैनिकों व अमेरिका में रह रहे पाकिस्तान के पूर्व एंबेसडर हुसैन हक्कानी को मारने का आरोप है। इसके अलावा 2011 में मेगोगेट कांड की मुख्य साजिशकर्ता भी आफिया ही रही थी।
पहली बार कब सामने आया आफिया का नाम?
आफिया सिद्दीकी का नाम पहली बार दुनिया के सामने तब आया जब एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पाकिस्तान और अमेरिका के बीच एक डील हुई है। इसमें पाकिस्तान ने डॉ. शकील अहमद के बदले आफिया सिद्दकी को वापस लौटाने की मांग की है। डॉ. शकील अहमद ने अलकायदा के ओसामा बिन लादेन को मारने में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की मदद की थी। वहीं आतंक की दुनिया में पहली बार आफिया का नाम तब जुड़ा जब आतंकी खालिद शेख मोहम्मद ने FBI को उसके बारे में बताया था।
जेल में रहकर ही FBI अधिकारी को मारने की रची थी साजिश
आफिया कितनी खूंखार आतंकी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने जेल में रहते हुए ही एक FBI अधिकारी को मारने की साजिश रच डाली थी। दरअसल, 2003 में पहली बार आफिया का नाम पता चलने के बाद उसे अफगानिस्तान में गिरफ्तार कर लिया गया था। जेल में रहते हुए ही उसने अमेरिकी अधिकारियों को मारने के लिए साजिश रची। इसका पता चलते ही आफिया को अमेरिका की जेल में भेज दिया गया था।