उत्तर प्रदेश में चुनावी बिगुल बज चुका है। 10 फरवरी से यहां सियासी समर की शुरुआत होगी और 10 मार्च को नतीजे घोषित होंगे। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पिछले दो महीने के दौरान यहां काफी रैलियां हुईं। नेताओं ने जमकर वादे किए। राजनीतिक दलों ने अपनी बात तो जनता को बता दी, लेकिन जनता की बात किसी ने नहीं सुनी। इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। यूपी की जनता का मूड समझने और उनके मुद्दों को जानने के लिए चुनावी रथ उत्तर प्रदेश के 45 जिलों में पहुंचा। छह हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी करके नौ हजार से ज्यादा लोगों से बात की गई।
3. फसलों का उचित समर्थन मूल्य न मिलना किसानों ने फसलों का उचित समर्थन मूल्य न मिलने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार भले कहती है कि वह किसानों की आय दोगुनी कर देगी, लेकिन जब तक समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी नहीं होगी, तब तक किसान खुश नहीं होंगे। हालांकि, किसान सम्मान निधि के जरिए मिल रही मदद को किसानों ने अच्छा कदम भी बताया।