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Tuesday, May 7, 2024

वर्षों बाद हुआ पटना यूनिवर्सिटी में पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं का सम्मेलन

पटना यूनिवर्सिटी में पूर्ववर्ती छात्र-छात्राओं का सम्मेलन हुआ। सालों बाद अपने सहपाठियों को देख छात्रों ने एक से बढ़कर एक किस्से सुनाए। सभी ने अपने यादों के पिटारे को खोला तो मानों पुराने दिन फिर से वापस आ गए हो। की टीम ने पूर्ववर्ती छात्रों से बातचीत। सभी अपनी यादें साझा की। इसी बीच एक ऐसे शख्स मिले जिनका किस्सा बिहार के पूर्व डीजीपी और कथाकार गुप्तेश्वर पाडेंय से जुड़ा है। आइए जानते है…

ग्रामीण कार्य विभाग के संयुक्त सचिव शत्रुंजय मिश्रा ने कहा कि बक्सर के स्कूल से मैंने और गुप्तेश्वर पांडेय ने साथ मैट्रिक की परीक्षा 1977 में पास किया। दोनों साथ ही पटना कॉलेज में नाम लिखवाने आए। दोनों देहाती आदमी धोती-कुर्ता वाले थे। उस समय यहां पर एक महावीर मंदिर हुआ करता था। मुझे याद है वह पल जब मैं, गुप्तेश्वर और मेरे बड़े भाई पटना कॉलेज में एडमिशन कराने आये थे। मैं और गुप्तेश्वर सड़क के उसपार थे। जब सड़क पार करने लगे तो सामने से बड़ी गाड़ी गुजरने लगती थी, हमलोग पीछे हट जाते थे। ऐसा तीन-चार बार हुआ। जब सड़क पार करने के क्रम में आगे बढ़ जाते लेकिन टैंपू या बस आते देख बढ़ते और फिर पीछे हट जाते। तीन चार बार ऐसा ही हुआ मेरे बड़े भैया गुप्तेश्वर को एक तमाचा लगाया। इसके बाद हमदोनों सतर्क हो गए और सड़क को ठीक से क्रॉस किया।

यहां आकर हमलोग फंस गए

पटना कॉलेज में पहली इंट्री इस तरह हुई। एडमिशन के बाद इस प्रांगण में हमलोग भोजपुरी मीडियम के थे। मेरा पहला क्लास का हिंदी का, वह बढ़िया से गुजरा। अगली क्लास अर्थशास्त्र पूरी तरह से इंग्लिश मीडियम में। अगली क्लास इतिहास भी पूरी तरह से इंग्लिश में और फिर अगली क्लास इंग्लिश में, वह तो इंग्लिश था ही। पहले दो-तीन दिन तक यह सोचे कि यहां आकर हमलोग फंस गए। पटना कॉलेज में एडमिशन करवाकर बड़ा गलत निर्णय ले लिया। महीना बीतने-बीतते थे मुझे तो रुलाई आने लगा और सीरियसली हमने यह बात सोचा कि हमें यह छोड़ देना चाहिए। हम यहां पर टिक नहीं पाएंगे।

फिर डटे तो डट ही गएशत्रुंजय मिश्रा ने आगे कहा कि बाद में गुप्तेश्वर के साथ जो हमारा ग्रुप बन गया। आपस में हम लोगों ने यह डिसाइड किया कि नहीं यह प्रीमियर है तो है। यह सौभाग्य की बात है कि हमारा यहां एडमिशन हो गया है। हम लोगों ने तैयारी की और फिर डटे तो डट ही गए। फिर यहीं से M.A. भी किए। 5-6 साल का पीरियड बहुत बेहतर रहा। अभी ग्रामीण कार्य विभाग में संयुक्त सचिव हूं। कई साल बाद यहां आकर काफी अच्छा लगा। बहुत खुश हूं। पुरानी यादें ताजा हो गई।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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