संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से दीपावली और बंदी छोड़ दिवस पर किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के नाम पर दीये जलाकर श्रद्धांजलि दी गई। टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने मोमबत्तियां व दीप जलाकर दिवाली मनाई। किसानों में दीपमाला बनाकर आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को याद किया और आंदोलन में मजबूती से डटे रहने का संकल्प लिया। दिवाली वाला दिन बॉर्डर पर आए किसानों का 343वां दिन था।
एसकेएम ने कहा कि पंजाब में 100 से अधिक स्थानों साहित सभी विरोध स्थलों पर और अन्य टोल प्लाजा और देश भर में अन्य राज्यों में भी पूरे भारत में आज आंदोलन के शहीदों को विशेष श्रद्धांजलि दी गई। एसकेएम ने कहा कि ऐतिहासिक आंदोलन में अब तक 650 से अधिक किसान शहीद हो चुके हैं, जिसे मोदी सरकार अपने जोखिम पर नजरअंदाज कर रही है। जब तक भाजपा सबक नहीं सीख लेती, और किसान-विरोधी नीतियों को वापस नहीं ले लेती, तब तक आंदोलन और मजबूत होगा। एसकेएम ने कहा कि किसानों द्वारा दिल्ली के मोर्चों पर अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ दीपावली और बंदी छोड़ दिवस मनाने के साथ सभी मोर्चा स्थलों पर संख्या और बढ़ गई है।
दिल्ली की सीमा पर विरोध के उभरने के बाद जींद की अपनी पहली यात्रा पर हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को किसानों के तीव्र विरोध का सामना करना पड़ा। पुलिस की 3 घेराबंदी और 800 पुलिस कर्मियों की बड़ी संख्या भी नाराज किसानों को नहीं रोक सकी। जिसमें महिला किसान भी शामिल थीं। जिन्होंने जजपा कार्यालय पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया। चौटाला को मजबूर होकर जजपा कार्यालय का दौरा रद्द करना पड़ा और दुष्यंत चौटाला के जाने के बाद ही दो घंटे का तनावपूर्ण महौल समाप्त हुआ।
संयुक्त किसान मोर्चा की 9 नवंबर को सिंघू मोर्चा पर होने वाली अगली बैठक में एक साल पूरा होने के अवसर पर आंदोलन की कार्रवाई के अगले कार्यक्रमों को अंतिम रूप दिया जाएगा।
दिवाली व बंदी छोड़ दिवस पर पंजाबी गायक बब्बू मान और अन्य गायकों ने विरोध स्थलों पर, किसानों के गीत गाकर, किसानों के साथ दीपावली मनाई। इससे पहले, सिंघू और टीकरी बॉर्डर पर मनमोहन वारिस और कमल हीर आए थे। एसकेएम ने कहा कि किसान आंदोलन को पंजाब और अन्य राज्यों के कलाकारों का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है।
एसकेएम ने कहा कि जैसा कि कई पंजाबियों के साथ लोकप्रिय परंपरा बन गई है, एक नवविवाहित जोड़े हरजोत सिंह और मनप्रीत कौर ने अपनी शादी में किसान संगठन के झंडे अपने हाथों में लिए और शादी के बाद बड़ों का आशीर्वाद लेने और किसानों के संघर्ष के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सिंघू मोर्चा पर आए। वहीं बाबा साधु राम जो 11 महीने से टीकरी मोर्चे पर थे, कल गांव लौटने पर फाजिल्का के लधुका मंडी स्टेशन पर ग्रामीणों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
एकल पदयात्री नागराज को अपनी मां के निधन के बाद घर लौटना पड़ा और उम्मीद की जा रही है कि वह जल्द ही दिल्ली के मोर्चा स्थलों तक अपनी यात्रा फिर बहाल करेंगे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन असाधारण नायकों से भरा है।
इस मौके पर एसकेएम नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा, युद्धवीर सिंह आदि मौजूद रहे।