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Thursday, May 9, 2024

आज सीएम आवास पर महागठबंधन के विधायकों की होगी बैठक, खतरे में CM सोरेन की कुर्सी,

अवैध खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मुश्किल में हैं। उनकी विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है। चुनाव आयोग की ओर से राज्यपाल को इस संबंध में अपनी राय भेजने के साथ ही झारखंड में सियासी हलचल बढ़ गई है।

आयोग की सिफारिश गुरुवार को राजभवन पहुंच गई। हालांकि, सोरेन के फिर से चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई है। राज्यपाल रमेश बैस सिफारिश के आधार पर शुक्रवार को फैसला ले सकते हैं। उनसे पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि वह इलाज के लिए दो दिन से दिल्ली एम्स में थे और बृहस्पतिवार को ही रांची लौटे हैं। आयोग ने 22 अगस्त को सुनवाई पूरी की थी। सीएम सोरेन ने किसी जानकारी से इनकार किया है। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, पत्रकारों ने बताया कि सोरेन अपनी सदस्यता खो चुके हैं। भाजपा ने ही शिकायत की थी, इसलिए यह खुशी का क्षण है।

झारखंड की कांग्रेस विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह ने कहा कि “हमने (झारखंड कांग्रेस के विधायकों को) झारखंड में हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों और अटकलों को ध्यान में रखते हुए सभी विधायकों रांची में उपलब्ध रहने का निर्देश दिया है। हमें (यूपीए विधायकों को) आज सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री आवास पर एक और बैठक के लिए बुलाया गया है। वहीं, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा है कि हर हाल में कांग्रेस झामुमो के साथ है। महागठबंधन किसी सूरत में नहीं टूटेगा। कांग्रेस का समर्थन जारी रहेगा।

भाजपा नेताओं ने तैयार किया पत्र

हेमंत सोरेन ने कहा कि भाजपा नेता और कुछ पत्रकार फैसला कर रहे हैं और पत्र तैयार कर रहे हैं। भाजपा ने सांविधानिक संस्थाओं को कब्जे में लिया हुआ है।

इसलिए फंसे

हेमंत के खिलाफ भाजपा ने राज्यपाल से जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 9ए के उल्लंघन की शिकायत दी थी। इसके अनुसार, कोई जनप्रतिनिधि सरकार के साथ व्यवसाय या व्यापार में शामिल होता है, तो वह अयोग्य घोषित हो सकता है। सोरेन ने सीएम रहते अपने नाम से खनन पट्टा हासिल किया था। उनके पास खनन मंत्रालय भी था। हालांकि, आयोग को शिकायत के बाद पट्टे को रद्द कर दिया गया था।

विधायकी रद्द होने की खबरों के बीच सीएम हेमंत सोरेन ने परोक्ष रूप से केंद्र पर निशाना साधते हुए गुरुवार शाम को ट्वीट किया, “संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे? झारखंड के हमारे हजारों मेहनती पुलिसकर्मियों का यह स्नेह और यहां की जनता का समर्थन ही मेरी ताकत है। हैं तैयार हम! जय झारखंड!

दरअसल, मुख्यमंत्री ने बुधवार की अपने मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के पुलिसकर्मियों को एक माह का अतिरिक्त मूल वेतन देने के फैसला किया था। उसके बाद पुलिसकर्मियों ने सीएम आवास के बाहर भारी संख्या में इकट्ठा होकर जश्न मनाया था।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के महासचिव एवं मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने चुनाव आयोग के सीएम हेमंत सोरेन के लाभ के पद मामले में फैसले का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘कोई भी निर्णय अंतिम नहीं है। हमारे लिये अन्य विकल्प भी खुले हैं।’’ एक सवाल के जवाब में भट्टाचार्य ने दो-टूक कहा कि चुनाव आयोग का कोई भी फैसला अब तक हमारे पास नहीं आया है और हमारे पास अपील में जाने का विकल्प भी मौजूद है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री की विधानसभा सदस्यता के बारे में फिलहाल राजभवन से उन्हें कोई आधिकारिक सूचना नहीं प्राप्त हुई है।

अब आगे क्या…

हेमंत के लिए विकल्प तय करना आसान नहीं है। पिता शिबू सोरेन अरसे से अस्वस्थ हैं। भाई बसंत सोरेन भी जांच के दायरे में हैं। पत्नी झारखंड की निवासी न होने से सुरक्षित सीट से उपचुनाव नहीं लड़ सकतीं। सवाल है, क्या हेमंत अपने विश्वस्त चंपई सोरेन या जोबा मांझी पर दांव लगाएंगे? पर, इससे झामुमो पर सोरेन परिवार का नियंत्रण खत्म होने का खतरा है।

झामुूमो ने कहा- सोरेन को अयोग्य ठहराने पर जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

झामुमो ने गुरुवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाता है तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगा। हालांकि, पार्टी ने यह भी कहा कि सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि उसके पास विधानसभा में पूर्ण बहुमत है। हालांकि, तेजी से बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बीच मुख्यमंत्री की पत्नी कल्पना सोरेन अचानक सुर्खियों में आ गई हैं। कहा गया है कि सोरेन को चुनाव लड़ने से रोके जाने की स्थिति में उन्हें जिम्मेदारी दी जा सकती है। राजभवन के सूत्रों ने कहा कि माना जाता है कि चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस से कहा है कि सोरेन ने खुद को खनन पट्टा देकर चुनावी मानदंडों का उल्लंघन किया है और इसके लिए विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए।

 

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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