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Wednesday, May 22, 2024

कांगड़ा को भेदने के लिए कांग्रेस ने खेला ब्राह्मण चेहरे पर दांव, आनंद शर्मा को उतार रण में

भाजपा का अजेय दुर्ग बनते जा रहे कांगड़ा को भेदने के लिए कांग्रेस ने अपने बड़े नेता आनंद शर्मा को रण में उतार एक नया प्रयोग किया है। कांग्रेस ने यहां पर पिछला चुनाव वर्ष 2004 में जीता था, जिसके बाद लगातार तीन बार हारती रही। उससे पहले भी दो चुनाव यहां भाजपा के कद्दावर नेता शांता कुमार जीते थे। जातीय सियासत के लिए मशहूर कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मण चेहरे पर दांव खेला गया है। यह मजबूरी भी थी क्योंकि भाजपा प्रत्याशी राजीव भारद्वाज भी इसी समुदाय से हैं। बड़ा नाम घोषित कर कांग्रेस के सभी नेताओं को यहां पर एक छत के नीचे लाने की रणनीति है। हालांकि, आनंद के खिलाफ भाजपा कांगड़ा में बाहरी नेता का मुद्दा खड़ा कर सकती है। उसका भी तोड़ इसी प्रचार से होगा कि आनंद शर्मा हिमाचल मूल के बड़े नेता गिने जाते हैं, न कि महज जन्मभूमि शिमला के ही। राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री, विदेश राज्य मंत्री जैसे बड़े पदों पर रह चुके आनंद शर्मा को उम्मीदवार बनाकर कांग्रेस हाईकमान ने सबको चौंकाने वाला फैसला लिया है। 

राज्यसभा सदस्य रहते हुए आनंद उस समय भी केंद्रीय मंत्री थे, जब हिमाचल से वीरभद्र सिंह केंद्र में मंत्री बने थे। आनंद के वीरभद्र सिंह से संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। जब वीरभद्र के विरोध के बावजूद मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बने थे तो आनंद शर्मा उनके शुभचिंतकों में थे। उस वक्त आनंद शर्मा अनेक बार सुक्खू की ढाल भी बने। ऐसे में यह मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू पर भी बड़ी जिम्मेवारी होगी कि अब उनसे लोकसभा की दहलीज पार करवाने के लिए अपने रण कौशल का इस्तेमाल करें। अब यह आनंद शर्मा के लिए भी उनके राजनीतिक करियर में करो या मरो जैसी स्थिति है क्योंकि अगर जीते तो उनका कद कायम रहेगा लेकिन हारे तो भविष्य के लिए संकटपूर्ण स्थिति होगी।

आनंद पहली बार लड़ रहे लोकसभा का चुनाव 
आनंद शर्मा का जन्म 5 जनवरी 1953 को हुआ। आनंद शर्मा पीए शर्मा और प्रभा रानी शर्मा के बेटे हैं। इनका जन्म हिमाचल के शिमला में हुआ। शिक्षा आरपीसीएसडीबी कॉलेज (अब आरकेएमवी ) शिमला और विधि संकाय हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से हुई। आनंद शर्मा ने 23 फरवरी 1987 को डॉ. ज़ेनोबिया से शादी की। उनके दो बेटे हैं। शर्मा भारत सरकार में वाणिज्य, उद्योग और कपड़ा विभाग के केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। जून 2014 से 2022 तक भारतीय संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में विपक्ष के उप नेता भी रहे। वह भारत में छात्र और युवा आंदोलन के एक प्रमुख नेता रहे हैं।

कांग्रेस पार्टी की छात्र शाखा एनएसयूआई के संस्थापक सदस्य रहे हैं। भारतीय युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भी थे। आनंद शर्मा ने कोई भी चुनाव नहीं लड़ा। अब पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जी 23 से हाशिये पर चले गए थे आनंद, अब हाईकमान के सामने साबित करने का अवसर : जी 23 के नेताओं में शामिल होने के बाद आनंद शर्मा हाशिये पर चले गए थे। अब उनके सामने हाईकमान के सामने खुद को साबित करने का भी एक नया अवसर होगा। जी 23 के नेताओं ने कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को बदलने के लिए पत्र लिखा था। इन 23 नेताओं में हिमाचल प्रदेश से आनंद शर्मा और कौल सिंह ठाकुर थे। 

विधायकों पर लीड दिलाने का दबाव
कांगड़ा संसदीय क्षेत्र से विधानसभा में भी कांग्रेस का पलड़ा भारी है। क्षेत्र में 17 में से 11 सीटें कांग्रेस के पास हैं। सुधीर शर्मा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए हैं तो एक सीट खाली हुई है। अब 10 विधायक कांग्रेस के पास हैं। अब आनंद को जिताने की जिम्मेवारी इन सभी पर डाली जा रही है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों से लीड देंगे। 

टिकट देने के तीन कारण
जातीय समीकरण: भाजपा के ब्राह्मण उम्मीदवार के सामने उसी समुदाय का प्रत्याशी दिया
एकजुटता: कद्दावर नेता को देकर कांग्रेस के सभी धड़ों को साथ चलने के लिए मजबूर किया
विरोध नहीं: केंद्रीय राजनीति करते रहे आनंद के खिलाफ विपक्ष के पास खास कुछ बोलने को नहीं

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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