प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया के प्राचीनतम बंदरगाह लोथल को भारत की संवृद्ध विरासत का हिस्सा बताते हुए यहां प्रस्तावित राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर को इसे सहेजने की पहल बताया है। सोशल मीडिया लिंकडिन पर लिखे पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा कि हजारों साल पहले यह बंदरगाह वस्तुओं के साथ-साथ दुनिया की सभ्यताओं और विचारों के मिलन का सजीव केंद्र हुआ करता था।
भारत की प्राचीन धरोहरों के सहेजने के लिए पर्याप्त प्रयास
पिछले हफ्ते केंद्रीय कैबिनेट ने यहां राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर बनाने को हरी झंडी दी थी। प्रधानमंत्री ने आजादी के बाद दशकों तक भारत की प्राचीन धरोहरों के सहेजने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किये जाने को दुखद बताया।
भारत की संवृद्ध और विविध समुद्री धरोहर
उनके अनुसार लोथल में राष्ट्रीय समुद्री धरोहर परिसर (एनएमएचसी) को न केवल भारत की संवृद्ध और विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित करने, बल्कि लोथल को एक विश्वस्तरीय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद करेगा। इसके साथ ही पर्यटन क्षमता को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय
प्रस्तावित प्लान के अनुसार हड़प्पा कालीन वास्तुकला और जीवन शैली को फिर से जीवंत करने के लिए लोथल मिनी रिक्रिएशन, चार थीम पार्क – मेमोरियल थीम पार्क, समुद्री और नौसेना थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क और साहसिक और मनोरंजन थीम पार्क; दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय; हड़प्पा काल से लेकर अब तक भारत की समुद्री धरोहर पर प्रकाश डालने वाली दीर्घाएं और तटीय राज्यों के मंडप भी तैयार किये जाएंगे, जिनमें वहां की विविध समुद्री धरोहर को प्रदर्शित किया जाएगा।