आज तक आपने सुना होगा कि चारपहिया या दोपहिया वाहन पर सवार यात्री को जब चाय पीने का मन करता है तो वह अपनी गाड़ी सड़क किनारे लगाकर दुकान पर चाय पीने के लिए जाता है। लेकिन क्या आपने यह कभी सुना है कि चाय पीने के लिए कोई ट्रेन का लोको पायलट बिना सिग्नल के ट्रेन रोक दे। जी हां ये मामला है बिहार के सिवान का जहां लोको पायलट को चाय की ऐसी तलब लगी कि उसने ट्रेन ही रोक दी। दरअसल, शुक्रवार सुबह 11123 डाउन झांसी एक्सप्रेस के लोको पायलट ने 91ए सिसवां ढाला पर चाय पीने के लिए ट्रेन रोक दी। ट्रेन का सहायक लोको पायलट ढाला के पास स्थित दुकान से चाय लेकर आया, फिर इंजन पर चढ़ा, जिसके बाद ट्रेन आगे बढ़ी। यह देखकर यात्री भी हैरान रह गए।
ट्रेन झांसी या ग्वालियर मेल एक्सप्रेस सुबह करीब 5.27 बजे सीवान स्टेशन पहुंची जब ट्रेन का सहायक लोको पायलट उतरकर सिसवां ढाला स्थित चाय की दुकान पर गया। तब तक ट्रेन के निकलने का समय हो चुका था। ट्रेन सीवान स्टेशन से सुबह 5.30 बजे रवाना हुई। लोको पायलट को पहले से पता था कि सहायक लोको पायलट ढाला पर है, इसलिए वह धीमी गति से ट्रेन को ढाला ले आया और फिर उसे रोक दिया। सहायक लोको पायलट दोनों हाथों में चाय का प्याला लेकर ट्रेन के इंजन के पास गया और पहले ड्राइवर को दे दिया। फिर वह खुद इंजन पर चढ़ा और ट्रेन आगे बढ़ गई। इसलिए ट्रेन बिना किसी सहायक लोको पायलट के सीवान स्टेशन से बड़ी लापरवाही दिखाते हुए निकल गई।
इस बीच सीवान के थानाध्यक्ष अनंत कुमार ने लोको पायलट की लापरवाही का हवाला देते हुए मामले की रिपोर्ट स्टेशन निदेशक को भेजी है। रिपोर्ट में लोको पायलट की लापरवाही के सबूत के तौर पर एक फोटो भी भेजी गई है।
स्थानीय लोगों के अनुसार ट्रेन के अनिर्धारित ठहराव के कारण रेलवे क्रॉसिंग के दोनों ओर वाहन फंस गए। यहां तक कि मरीज के साथ एक एंबुलेंस भी फंसी रही।
गार्ड और लोको पायलटों से मांगा गया स्पष्टीकरण
उत्तर-पूर्व रेलवे (एनईआर) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने कहा है कि गार्ड और लोको पायलटों को स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने के बाद रेलवे कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।