सुप्रीम कोर्ट ने आज इंद्राणी मुखर्जी को जमानत दे दी। वह 7 साल से मुंबई की जेल में बंद है। 10 साल पहले यानी 2012 में शीना बोरा की हत्या की गई थी। इस हत्याकांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था।
इंद्राणी मुखर्जी अपनी ही बेटी शीना बोरा हत्याकांड की मुख्य आरोपी है। शीर्ष कोर्ट ने 6 साल से अधिक समय जेल में रहने के आधार पर जमानत का आदेश दिया है। इंद्राणी ने दलील दी थी कि उसका मुकदमा छह साल से भी ज्यादा समय से चल रहा है। अभी इसके जल्द निपटने की कोई संभावना नहीं है। इंद्राणी मुखर्जी को उसके ड्राइवर द्वारा किए गए खुलासे के बाद 2015 में गिरफ्तार किया गया था।
इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की सीबीआई ने भी जांच की, लेकिन यह केस आज भी अनसुलझा है। यह एक ऐसी मर्डर मिस्ट्री है, जिसका रहस्य आज तक सामने नहीं आया। हत्या की यह गुत्थी इतनी पेचीदी थी कि शुरू में शीना बोरा के शव को इंद्राणी मुखर्जी ने अपनी बहन बताया था, लेकिन पुलिस पूछताछ में उसने खुलासा किया कि वह उसकी बेटी थी। इंद्राणी मुखर्जी ने दो शादी की थी। शीना बोरा उसके पहले पति की बेटी थी।
पिछले साल इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई को पत्र लिखकर दावा किया था कि शीना बोरा जिंदा है और कश्मीर में है। इस दावे ने सभी को चौंका दिया था। इंद्राणी मुखर्जी ने सीबीआई निदेशक को बताया था कि उनकी बेटी जिंदा है और वह इस वक्त कश्मीर में है, जांच एजेंसी उसकी तलाश शुरू करे।
करीब एक दशक पहले मुंबई के हाई प्रोफाइल सोसाइटी में ऑनर किलिंग का यह पहला मामला था जिसने मां बेटी के संबंधों को तार-तार कर दिया था। कहा जाता है कि मां को अपनी बेटी का कत्ल इसलिए करना पड़ा क्योंकि बेटी जिस लड़के से प्यार करती थी वो रिश्ते में उसका सौतेला भाई लगता था। जांच के दौरान एक-एक कर इतने नाटकीय घटनाक्रम सामने आए कि पूरा मामला किसी थ्रिलर फिल्म जैसा हो गया। शीना बोरा की हत्या के बाद हर किसी के मन में एक ही सवाल उठ रहा था कि आखिरकार एक मां ने अपनी बेटी की हत्या क्यों करवा दी।
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के जंगल में एक लड़की की अधजला शव मिला था। स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शिनाख्त करने की कोशिश की, लेकिन शव क्षत-विक्षत होने से उसकी पहचान नहीं हुई। पुलिस ने शव से सैंपल लेकर फॉरेंसिक रिपोर्ट के लिए भेजा और शव का अंतिम संस्कार कर दिया था। तीन साल तक पुलिस मामले की तहकीकात में जुटी रही, लेकिन कोई ठोस सुराग हाथ नहीं लगा। 2015 में पुलिस को ड्राइवर के खुलासे से केस सुलझाने में मदद मिली थी।