कभी शरद यादव का राजनीतिक कद इतना ऊंचा था कि जब वे बोलते थे तो पूरा देश सुनता था। मंत्री रहे हों या विपक्ष के सांसद, उनके सामने कभी कोई ऐसा सवाल नहीं आया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा हो। उनका जवाब सुनकर प्रश्न पूछने वाले चुप रह जाया करते थे। लेकिन मंगलवार को जब इस बड़े समाजवादी नेता ने तुगलक रोड स्थित 22 साल पुराना अपना बंगला छोड़ा, उसके पहले की रात में उनके बेहद करीबी व्यक्ति ने उनसे एक ऐसा सवाल किया जिसका जवाब उन्हें नहीं सूझा। इस सवाल को सुनकर वे कुछ देर चुप रहे। उसके बाद कहा कि वे थक गए हैं और अब सोने जा रहे हैं। यह कहकर वे सोने चले गए।
शरद यादव के करीबी सूत्रों के अनुसार, सोमवार शाम को बंगला छोड़ने से पहले उनसे मिलने कुछ लोग आए थे। इसमें वे लोग भी शामिल थे जो उनकी लंबी राजनीतिक यात्रा में उनके भागीदार रहे थे। उनके समर्थक जानना चाहते थे कि अब उनकी आगे की राजनीतिक यात्रा क्या होगी। इसमें न केवल शरद यादव का भविष्य जुड़ा हुआ था, बल्कि उनके उन समर्थकों का भविष्य भी जुड़ा था। उनके बेहद करीबी नेता ने उनसे सवाल किया, अब इसके आगे उनकी राजनीतिक यात्रा क्या रहेगी। लेकिन शरद यादव इस सवाल का कोई जवाब नहीं दे पाए। वे कुछ देर सोचते रहे। उसके बाद थके होने की बात कहकर सोने चले गए।
हालांकि, मंगलवार को बंगला छोड़ने से पहले शरद यादव ने इस अपने पुराने आवास (7, तुगलक रोड) पर एक प्रेस कांफ्रेंस की। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि उनका यह आवास कई अहम आंदोलनों का केंद्र रहा। यहां कई बड़े राजनीतिक फैसले लिए गए जिसने देश की राजनीतिक को बदलने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने मीडिया को भी धन्यवाद किया कि उसने लगातार उनकी आवाज को लोगों तक पहुंचाने में मदद की।
इस प्रेस कांफ्रेंस में शरद यादव ने अपनी राजनीतिक यात्रा अभी समाप्त न होने की बात कही। उन्होंने कहा कि वे लगभग 45 साल से सामाजिक मुद्दों की लड़ाई लड़ते रहे हैं और इस आवास को खाली करने के बाद भी उनकी यह लड़ाई जारी रहेगी। लेकिन उनके समर्थक मानते हैं कि यह ‘बूढ़े शेर की दहाड़’ से ज्यादा कुछ नहीं है जो न तो अब जंगल में लंबी दौड़ लगा सकता है और न ही अपने दम पर शिकार कर सकता है।
शरद के करीबियों के मुताबिक, वे नीतीश कुमार से पहले ही नाराज थे। उनसे नाराजगी के कारण ही वे जदयू से अलग हुए और अपनी अलग पार्टी बनाई। अब राष्ट्रीय जनता दल में शामिल होने के बाद भी उन्हें वहां से कुछ नहीं मिला। लालू प्रसाद यादव से उनकी मुलाकात के बाद भी उन्हें राज्यसभा भेजने पर कोई सहमति नहीं बन पाई। इससे वे अब राजनीतिक सन्यास की स्थिति में जाते दिखाई पड़ रहे हैं। फिलहाल अब दक्षिणी दिल्ली का एक फॉर्म हाउस उनका नया ठिकाना होगा जहां से वे टीवी पर नजरें गड़ाए देश की राजनीतिक तस्वीर बदलते देखेंगे।