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Saturday, May 18, 2024

टॉप फाइव शोज से बाहर हो चुके संजय गगनानी अपनी पोजीशन वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रहे

टीआरपी चार्ट के टॉप फाइव शोज से बाहर हो चुके कभी लोकप्रिय रहे धारावाहिक ‘कुंडली भाग्य‘ के कलाकार एक बार फिर अपनी पोजीशन वापस पाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। शो में करण (धीरज धूपर) और प्रीता (श्रद्धा आर्य) की जिंदगी में चल रहा दर्शकों में नई उत्सुकता जगाता दिख रहा है। करण के जेल से भागने के बाद इस शो में तमाम नाटकीय मोड़ तो देखने को मिल रहे हैं, लेकिन ये शो को कितना फायदा पहुंचाएंगे, इसका फैसला होना अभी बाकी है।

शो की कहानी के मुताबिक प्रीता को अब अपराधी की तलाश पहले से कहीं ज्यादा है और उसे पक्का यकीन है कि शर्लिन (रूही चतुर्वेदी) का अक्षय के कत्ल से कुछ संबंध है, जबकि शर्लिन हमेशा इससे इनकार करती रही है। इस बीच पृथ्वी (संजय गगनानी) ड्रामा को और भड़का रहे हैं और वर्तमान स्थितियों को लेकर काफी संतुष्ट हैं। वो शर्लिन की मदद करने से भी इंकार कर देते हैं। जहां पृथ्वी वाकई खुश हैं, वहीं इस रोल के पीछे छिपे एक्टर यानी संजय गगनानी ने जब से ‘कुंडली भाग्य‘ में वापसी की है, तब से वो अपने रोल से काफी खुश हैं।

संजय खुद को खुशकिस्मत मानते हैं कि उन्हें ऐसी टीम मिली, जिसने उनके रोल को बखूबी गढ़ा और इसे दर्शकों का बहुत प्यार मिला। संजय को शुरू में लगा था कि दर्शक उनके इस किरदार से नफरत करेंगे या उसे नापसंद करेंगे। असल में उनका किरदार, हीरो और विलेन के गुणों का परफेक्ट संगम है और उनका मानना है कि उन्हें आसानी से नेगेटिव रोल में टाइपकास्ट नहीं किया जा सकता।

इस बारे में संजय कहते हैं, ‘‘मेरे शो के दर्शकों ने मुझे ‘विलेनीरो‘ का नाम दिया है, जो विलेन और हीरो के लिए इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में बहुत-से लोग मुझे विलेन के रूप में देखते हैं, बहुत-से अन्य हीरो समझते हैं और बाकी के लोग मुझे विलेन और हीरो दोनों मानते हैं। दूसरे एक्टरों से अलग मैंने खुद को टाइपकास्ट होने से फिलहाल अलग रखा है।“

टेलीविजन पर पूरा खेल कलाकार की इमेज का ही होता है। इस बारे में संजय कहते हैं, “यह मेरा सौभाग्य कि मुझे स्क्रीन पर अपनी कोई छवि नहीं तोड़नी पड़ी। इसका पूरा श्रेय मेरी टीम को खास तौर पर लेखकों को जाता है, क्योंकि उन्होंने मुझे इस तरह से प्रस्तुत किया कि इसमें सिर्फ मेरी हरकतें ही गलत दिखाई गईं। यदि आप पृथ्वी मल्होत्रा को देखेंगे, तो वो खलनायक की तरह बिल्कुल नहीं दिखता और उसका लुक भी उसकी हरकतों से अलग नजर आता है।”

किसी खास किरदार को लेकर किसी कलाकार की छवि दर्शकों के मन में घर कर जाती है। तो क्या संजय को टाइपकास्ट होने में डर नहीं लगता? इस पर वह कहते हैं, “शो के दर्शक और प्रोड्यूसर बहुत इंटेलिजेंट हैं और इसलिए मुझे लगता है कि वो इसमें फर्क कर पाए और यह समझ पाए कि मेरा किरदार और मेरा व्यक्तित्व सिर्फ एक खलनायक होने तक सीमित ना रहे। सच कहूं तो मुझे टाइपकास्ट होने का कोई डर नहीं है क्योंकि यदि मैं विलेन जैसा ना दिखते हुए भी विलेन के रोल में लिया जा सकता हूं तो मुझे यकीन है कि कोई भी प्रोड्यूसर मेरे जैसे एक्टर को, जो विलेन का रोल निभा चुका है, हीरो के रोल में भी ले लेंगे।”

anita
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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