मेरा बेटा शेरदिल था। निडर और जांबाज था। सबसे बड़ी बात वो हर काम के लिए तैयार रहता था। मुझे उस पर गर्व है। उसका सर्वोच्च बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। जिन आतंकियों ने यह कृत्य किया है, भारतीय सेना उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देगी। ये कहना है राजोरी में बलिदान कैप्टन शुभम के पिता बसंत गुप्ता का।
आतंकी मुठभेड़ में बलिदान हुए अमर बलिदानी कैप्टन शुभम के पिता आगरा जिला एवं सत्र न्यायालय में जिला शासकीय अधिवक्ता (डीजीसी) फौजदारी पद पर 2017 से तैनात हैं। ताजनगरी फेज-वन स्थित प्रतीक एन्क्लेव में घर पर बृहस्पतिवार को लोगों का तांता लगा रहा। शुभम के पिता ने कहा कि उनके बेटे का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उसके साथियों ने संकल्प लिया है कि आतंकवादियों को नेस्तनाबूत कर देंगे।
उन्होंने शुभम के बारे में कहा कि उनका (शुभम का) लक्ष्य था कि कुछ बड़ा काम करना है। हटकर करना है। जहां भी रहना है टॉप पर रहना है। सेना में जब गया था तब भी उनका यही कहना था कि देश के लिए बहुत कुछ करना है। हम एक साल से कह रहे थे बेटा शादी कर लो। वो कहता था एक बड़ा काम कर लूं। 15 दिनों से मेरी फोन पर उनसे बात हो रही थी। मैंने कहा कुछ दिन की छुट्टियां प्लान कर लो। कहा कि एक काम पेंडिंग है। दो दिन पहले भी मेरी फोन पर बात हुई थी। मैंने घर आने को कहा था, तो बोला एक बड़े मिशन पर हूं। जल्द घर आऊंगा। यह कहते हुए पिता की आंख नम हो गईं। बसंत गुप्ता के दो बेटे हैं। जिनमें शुभम बड़ा और ऋषभ छोटा है।