धार्मिक-सामुदायिक सद्भाव की मुहिम के तहत बृहस्पतिवार को मस्जिद और मदरसे के दौरे पर पहुंचे संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत शिक्षक की भूमिका में नजर आए। राजधानी के आजादपुर स्थित मदरसा ताजवीदुल कुरान में एक घंटे से भी अधिक समय तक उन्होंने बच्चों से सीधा संवाद किया और उनको आधुनिक शिक्षा का महत्व समझाया। आजादी की लड़ाई और इस दौरान बलिदान देने वाली शख्सियतों की चर्चा की। राष्ट्र प्रेम की चर्चा करते हुए बच्चों से जयहिंद के नारे भी लगवाए।
संघ प्रमुख ने बच्चों से जानना चाहा कि वह मदरसे में क्या पढ़ते हैं? इसके बाद बच्चों से भविष्य की योजना पूछी। ज्यादातर बच्चों ने मदरसे में दीन शिक्षा हासिल करने की बात कही। हालांकि ज्यादातर बच्चों ने डॉक्टर-इंजीनियर बनने की भी इच्छा जताई। इस पर संघ प्रमुख ने पूछा कि महज धर्म की पढ़ाई कर डॉक्टर-इंजीनियर कैसे बना जा सकता है? उन्होंने बच्चों को कंप्यूटर सीखने की सलाह दी और कहा-काम आएगा।
संघ प्रमुख ने बच्चों को आधुनिक शिक्षा, देश और संस्कृति का महत्व समझाया। बच्चों को बताया कि कॅरिअर बनाने के लिए आधुनिक शिक्षा हासिल करनी होगी। आधुनिक शिक्षा के बिना बेहतर कॅरिअर बनाना संभव नहीं है। इस दौरान भागवत ने संस्कृति, राष्ट्रवाद पर भी बातचीत की। कहा कि बच्चों को आजादी की लड़ाई में बलिदान देने वालों के जीवन के बारे में भी जानना चाहिए।
संवाद का यह सिलसिला अच्छा है। मुस्लिम प्रतिनिधियों से मुलाकात में संघ प्रमुख ने देश की स्थिति को लेकर चिंता जताई थी। कहा था, वह असामंजस्य के माहौल से खुश नहीं हैं। सहयोग-एकजुटता से ही देश आगे बढ़ सकता है। उन्होंने गोहत्या, जिहाद और काफिर शब्द के इस्तेमाल को हिंदुओं को परेशान करने वाला बताया। हमने कहा कि गोहत्या व्यावहारिक रूप से प्रतिबंधित है। कोई उल्लंघन करता है, तो उसे सजा मिले। -एसवाई कुरैशी पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त
संघ प्रमुख भागवत जल्द कश्मीर के मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक करेंगे। मुस्लिम बुद्धिजीवियों से संघ प्रमुख लगातार चर्चा कर रहे हैं। मुलाकात के बाद बुद्धिजीवी अलग-अलग संगठनों से बातचीत कर रहे हैं। संघ प्रमुख की 22 अगस्त को हुई पहली बैठक में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी, नजीब जंग, शाहिद सिद्दीकी, एमएमयू के पूर्व कुलपति जमीरुद्दीन शाह व कारोबारी सईद शेरवानी शामिल हुए थे। पिछले साल भी मुस्लिम प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की थी।
उमर अहमद इलियासी के पिता दिवंगत जमील इलियासी संघ के पूर्व प्रमुख केसी सुदर्शन के करीबी थे। सुदर्शन व इलियासी की मदरसों के आधुनिकीकरण और दोनों समुदायों के बीच फैली भ्रांतियों को खत्म करने पर बातचीत होती रहती थी।
संघ की सद्भाव की कोशिश में सकि्रय दोनों पक्षों की अपनी चिंताएं हैं। भागवत हिंदुओं की आस्था के इतर गोहत्या, काफिर शब्द के इस्तेमाल और इस्लाम में जिहाद की अवधारणा से चिंतित व खफा हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष की चिंता उनकी वफादारी की बार-बार ली जाने वाली परीक्षा है।
राहत की बात यह है कि लगातार संवाद पर दोनों पक्ष सहमत हैं। इसी का नतीजा है, भागवत ने इमाम संगठन के मुखिया से बातचीत और मदरसे में बच्चों से सीधा संवाद किया। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी बताते हैं, भागवत का कहना था, गाय हिंदु आस्था से जुड़ी है। मुगल व ब्रिटिशकाल में भी हिंदु भावनाओं का सम्मान किया गया।
भागवत की हिंदुओं के लिए काफिर शब्द के उपयोग पर भी आपत्ति है। वह इस्लाम में जिहाद के नाम पर हिंसा से भी चिंतित दिखे। इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा, गोहत्या पर देश में कानून है। उल्लंघन करने वाले को सजा मिलनी चाहिए। काफिर शब्द का इस्तेमाल बंद करने के लिए प्रयास कर रहे हैं। जिहाद की गलत व्याख्या के कारण समस्या पैदा हुई है। इसके खिलाफ व्यापक अभियान की जरूरत पर बल दिया गया।
देश में कई धर्म हैं। सबकी पूजा पद्धत्ति अलग-अलग है मगर हम सभी एक देश के नागरिक हैं और किसी भी चीज से ज्यादा महत्व देश का है। भारत विविधताओं से भरा देश है। देश में सभी धर्मों का सम्मान जरूरी है। आपको देश को अधिक से अधिक जानने की जरूरत है। – मोहन भागवत, संघ प्रमुख (मदरसे में बच्चों से संवाद)
हमने मरहूम मौलाना इलियासी की बरसी पर डॉ. भागवत को आमंत्रित किया था। हमें खुशी है कि उन्होंने हमारा निमंत्रण स्वीकार किया। भागवत वैसे नहीं हैं जैसी उनकी छवि पेश की जाती है। हम अपने मदरसों में संस्कृत शिक्षा शुरू करेंगे। शुरुआत इसी मदरसे से होगी। देश की संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत की शिक्षा जरूरी है। – उमर अहमद इलियासी, इमाम संगठन के मुखिया
भागवत से मिलने वाले अभिजात्य वर्ग से हैं। इन्हें गुमान है कि ये बहुत जानकार हैं, पर इनका जमीनी सच्चाई से कोई वास्ता नहीं है।