राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के स्तर में मामूली वृद्धि के बावजूद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने सोमवार को श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना (ग्रैप) के दूसरे चरण के तहत प्रतिबंधों को लगाने से परहेज किया। ग्रैप के पहले चरण की पाबंदियां लागू रहेंगी, जिसके तहत प्रदूषणकारी उद्योगों, वाहनों और पराली इत्यादि (बयोमास) जलाने पर रोक रहती है।
ग्रैप के तहत जरूरी कदम उठाने के लिए जिम्मेदार उपसमिति ने सोमवार को एक बैठक में स्थिति की समीक्षा की। एजेंसियों ने रविवार को दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में तेजी से गिरावट की संभावना जताई थी। दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) सोमवार को खराब होकर 265 पर पहुंच गया, रविवार को यह 244 पर था।
ग्रैप स्थिति की गंभीरता के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी और इसके आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण विरोधी उपायों का एक सेट है। यह दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता को चार श्रेणियों में वर्गीकृत करता है। पहला चरण- खराब (एक्यूआई 201-300), दूसरा चरण- बहुत खराब (एक्यूआई 301-400), तीसरा चरण-गंभीर (एक्यूआई 401-450) और चौथा चरम-बहुत खराब (एक्यूआई 450 और उससे अधिक) है।आने वाले दिनों में भी ‘खराब’ रहेगी हवा आईएमडी और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) ने कहा कि आने वाले दिनों में एक्यूआई ‘खराब’ श्रेणी में ही रहेगा, लेकिन उसमें तेजी से गिरावट आने की उम्मीद नहीं है। उपसमिति ने एक बयान जारी कर कहा, उपरोक्त बिंदुओं पर विचार करते हुए यह फैसला किया गया है कि ग्रैप के पहले चरण के तहत चल रही कार्रवाई जारी रहनी चाहिए और दूसरे चरण की कार्रवाई की कोई जरूरत नहीं है।10 साल में पहली बार 15 फरवरी से पहले पारा पहुंचा 29 डिग्रीदिल्ली में सोमवार का दिन बीते साल के मुकाबले में फरवरी का सबसे अधिक गर्म रहा। सफदरजंग मौसम केंद्र पर अधिकतम तापमान 29 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ जो कि सामान्य से छ: डिग्री अधिक है। एेसा पहली बार हुआ है, जब 10 साल में पहली बार 15 फरवरी से पहले पारा 29 डिग्री पहुंचा है। तापमान ने बीते साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। वर्ष 2022 में छ: फरवरी को सबसे अधिक 28.4 अधिकतम तापमान दर्ज हुआ था। जबकि ऑल टाइम रिकॉर्ड 2006 में 26 फरवरी का है जब तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ था।