ब्याज दर अचानक बढ़ाने पर आलोचनाओं के बीच आरबीआई ने कहा कि कई वैश्विक तूफान एक साथ आने की वजह से बिना पूर्व कार्यक्रम के नीतिगत दरों में बढ़ोतरी का फैसला लिया गया। केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक का ब्योरा जारी कर कहा कि नीतिगत दरों (मौद्रिक नीति कार्रवाइयों) में अचानक बढ़ोतरी का उद्देश्य लगातार बढ़ रही महंगाई को कम करना है।
मध्यम अवधि में अर्थव्यवस्था की वृद्धि की संभावनाओं को मजबूत करने और कमजोर आय वर्ग के लोगों की खरीद क्षमता को बनाए रखने के लिए भी एमपीसी की अचानक बैठक कर ब्याज दरों में बढ़ोतरी की गई। दास ने कहा, कई तूफान एक साथ आए। हमारी मौद्रिक नीति प्रतिक्रिया को जहाज को स्थिर रखने के उपाय के रूप में देखा जाना चाहिए।
भारतीय और वैश्विक साक्ष्य स्पष्ट बताते हैं कि उच्च महंगाई से बचत, निवेश, प्रतिस्पर्धा और विकास दर को नुकसान पहुंच रहा है। वहीं, आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एवं एमपीसी सदस्य माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि मौजूदा माहौल में संतुलित दृष्टिकोण और शांत दिमाग की जरूरत है। एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने रेपो दर को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी करने पर सहमति जताई थी। यह अगस्त, 2018 के बाद रेपो दर में पहली बढ़ोतरी है।
दास ने कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर नजर रखते हुए बैंक अपने बही-खातों पर इसके असर को कम करने के लिए पूंजी जुटाने समेत अन्य कदम उठाएं। प्रमुख बैंकों को एमडी एवं सीईओ के साथ बैठक में गवर्नर ने कहा कि महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिए बैंकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बैंकिंग क्षेत्र जुझारू बना हुआ है। विभिन्न चुनौतियों के बावजूद वह सुधार की राह पर है।
बैंकों को अपनी शिकायत निवारण प्रणाली में और सुधार करने पर विशेष ध्यान देना चाहिए। साथ ही आर्थिक गतिविधियों में तेजी के लिए जरूरी मदद करना जारी रखना चाहिए।
इस दौरान कर्ज वृद्धि, संपत्ति गुणवत्ता, उपभोक्ता शिकायत निवारण, डिजिटल बैंकिंग इकाइयों की स्थापना, आईटी बुनियादी ढांचे की मजबूती और साइबर सुरक्षा पर भी चर्चा हुई।
पूर्व आरबीआई गवर्नर डी सुब्बाराव ने बुधवार को कहा कि किसी भी केंद्रीय बैंक के लिए भविष्य का सटीक अनुमान लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में ब्याज दरों में देरी से वृद्धि करने पर आरबीआई की आलोचन करना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मौद्रिक नीति का असर देर से होता है। ऐसे में रेपो दर में हालिया वृद्धि से महंगाई तुरंत कम नहीं होगी। हालांकि, मौद्रिक हालात को मजबूत करने के लिए एमपीसी की गैर-निर्धारित बैठक जैसे जल्दबाजी में उठाए गए कदम से कई सवाल खड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि दरों में बढ़ोतरी से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर कुछ समय के लिए थोड़ा असर पड़ेगा।
वैश्विक रेटिंग एजेंसी एस,एंडपी ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के विकास दर अनुमान को 0.5 फीसदी घटाकर 7.3 फीसदी कर दिया है। पहले इसके 7.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। एजेंसी ने कहा कि बढ़ती महंगाई और रूस-यक्रेन युद्ध लंबा खिंचने के कारण विकास दर में कटौती की गई है। महंगाई का लंबे समय ऊंचे स्तर पर बना रहना चिंता का विषय है। ऐसे में केंद्रीय बैंकों को नीतिगत दरों में वृद्धि करना पड़ती है। इससे उत्पादन और रोजगार पर बुरा असर पड़ता है। 2023-24 में विकास दर 6.5 फीसदी रह सकती है।
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पूरी दुनिया में अनिश्चितता का माहौल है। इसके बावजूद बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत इस समय बेहतर स्थिति में है। अमेजन संभव समिट में उन्होंने कहा कि वैश्विक चुनौतियों और अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए भारत बेहतर स्थिति में है। इसकी प्रमुख वजह बेहतर वित्तीय प्रणाली और कॉरपोरेट जगत की मजबूत स्थिति है। इन दोनों वजहों से भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छे मुकाम पर है।
उन्होंने कहा कि पिछले दशक में भारत को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। उस दौरान बैंकिंग प्रणाली दबाव में थी और 2018 तक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) इसके दायरे में आ गईं। उसके बाद देश ने बैंकिंंग और अन्य क्षेत्रों में कई सुधार किए हैं। कॉरपोरेट जगत भी अच्छी स्थिति में हैं।नागेश्वरन ने कहा कि भारतीय कॉरपोरेट ने अपनी बैलेंसशीट में सुधार किया है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद इस दशक में हम मजबूत वित्तीय स्थिति के साथ प्रवेश कर रहे हैं। आरबीआई के पास विदेशी मुद्रा का अच्छा भंडार है। उसने रेपो दर बढ़ाकर महंगाई से निपटने के लिए कमर कसने का संकेत दिया है।