पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की सरकार और राज्यपाल के बीच फिर टकराव तेज हो गए हैं। दरअसल, राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने गुरुवार को 11 प्रोफेसरों को कुलपति नियुक्त किया। अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति की सूची जारी करने के कुछ घंटों बाद ही राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु का बयान सामने आ गया। उन्होंने राजभवन का निर्णय एकतरफा बताया है।
इन जगह नियुक्त हुए अंतरिम वीसी
बता दें, राजभवन ने हाल ही में कहा कि 27 विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति में गतिरोध को दूर करने के लिए राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस ने फैसला लिया। उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपति के रूप में उन सभी विश्वविद्यालयों में अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति शुरू कर दी हैं, जहां रिक्तियां हैं। कलकत्ता, जादवपुर और बर्दवान विश्वविद्यालय उन 11 विश्वविद्यालयों में शामिल हैं, जहां अंतरिम वीसी नियुक्त किए गए हैं।
शिक्षा मंत्री का आरोप
दूसरी ओर, राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने गुरुवार को एक ट्वीट कर नवनियुक्त कुलपतियों की नियुक्ति को खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि हमें मीडिया से पता चला है कि राज्यपाल ने विभाग (उच्च शिक्षा) से परामर्श किए बिना आज राजकीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति की है। बसु ने कहा कि राज्यपाल ने कानून का कुलपतियों की नियुक्ति में स्थापित मानदंड और कानून का उल्लंघन किया है। मंत्री ने आगे कहा कि अगर नियुक्ति खारिज नहीं की गई तो हम कानूनी सलाह लेंगे।
राज्यपाल का जवाब
इस पर, राज्यपाल ने कहा कि राजभवन स्पष्ट करता है कि अंतरिम कुलपतियों की नियुक्ति या किसी को अंतरिम कुलपति के कार्यों को करने के लिए अधिकृत करने के मामले में परामर्श किया गया है। राजभवन ने साथ ही ये भी कहा कि कुलाधिपति की राय है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को छात्रों के सर्वोत्तम हितों पर ध्यान देना चाहिए और राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करना चाहिए।