नई दिल्ली, 17 अप्रैल 2025, गुरुवार। गुरुवार को दिल्ली में एक खास मुलाकात हुई, जब दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट की। इस मुलाकात में समुदाय ने वक्फ संशोधन अधिनियम को लागू करने के लिए पीएम मोदी का दिल से आभार जताया। दाऊदी बोहरा समुदाय ने इसे अपनी वर्षों पुरानी मांग पूरी होने का प्रतीक बताया। उन्होंने पीएम के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विजन पर भरोसा जताते हुए इसे समावेशी विकास का मार्ग बताया।
लेकिन इस मुलाकात के इर्द-गिर्द सियासी माहौल गर्म है। वक्फ संशोधन कानून को लेकर देश में बहस छिड़ी हुई है। जहां मोदी सरकार इसे मुस्लिम समुदाय के हित में बताकर समर्थन जुटा रही है, वहीं कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं। कई मुस्लिम संगठनों ने भी इस कानून के खिलाफ सड़कों पर उतरकर अपना रोष जाहिर किया है।
मामला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच चुका है। इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर हाल ही में सुनवाई हुई। उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए कहा कि वक्फ के तहत घोषित या रजिस्टर्ड संपत्तियों की मौजूदा स्थिति को यथावत रखा जाए। साथ ही, केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी।
वक्फ कानून को लेकर यह टकराव न केवल धार्मिक और सामाजिक, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम हो चला है। एक तरफ दाऊदी बोहरा समुदाय जैसे कुछ समूह इसे सकारात्मक बदलाव मान रहे हैं, तो दूसरी तरफ विरोध की आवाजें भी कम नहीं हैं। आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर और गहमागहमी देखने को मिल सकती है।
यह मुलाकात और उसका सियासी संदर्भ यह बताता है कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में हर नीति और कानून को सभी पक्षों का विश्वास जीतने की चुनौती से गुजरना पड़ता है।