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Saturday, May 18, 2024

फैसला सुनाने के बाद जज ने कहा- ऐसे अपराधी को जीवित रखना बच्चों के लिए खतरा

सजा-ए-मौत सुनाने से पहले जज अमित कुमार प्रजापति ने टिप्पणी की, दोषी पाए गए युवक ने सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का घोर हनन किया है। ऐसी मानसिकता वाले अपराधी को समाज में जीवित रखना अन्य बालक अथवा व्यक्ति को खतरा उत्पन्न करता है।

ऐसी दुर्दांत मानसिकता वाले व्यक्ति के द्वारा किए गए अपराध के लिए अधिकतम दण्ड दिए जाने से ही कोमल वय बालकों के प्रति लैंगिक अपराधों से संरक्षण का लक्ष्य पूरा होगा तथा समाज में न्यायिक प्रक्रिया एवं न्याय प्रणाली के प्रति सद्भाव एवं विश्वास उत्पन्न होगा।

जज ने कहा, कोमलवय बालकों के प्रति किए गए अपराध के लिए विशेष रुप से दण्ड का प्रावधान जरूरी है। अभियुक्त को पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत अपराध का दोषी पाया गया है। कपिल मृतका के पड़ोस का रहने वाला है।

उसने सुनियोजित तरीके से अपहरण किया। कोमलवय बच्चों के प्रति उत्पन्न होने वाले सहज प्रेम, उदारता एवं दयाभाव भी उसके हृदय में उत्पन्न नहीं हुआ। उसका अपराध मृत्युदण्ड से दंडित किए जाने योग्य है।

बच्चियां देवी का स्वरूप उनका सम्मान जरूरीविशेष लोक अभियोजक ( पॉक्सो ) संजीव बखारवा ने कहा, लोग देवियों की पूजा करते हैं, नवरात्र में देवी का स्वरूप मान बच्चियों की पूजी की जाती है। बच्चियां देवियों का स्वरूप ही हैं। उनका सम्मान जरूरी है। कुछ लोग उनका सम्मान नहीं करते।

इस केस में नौ साल की बच्ची अविकसित कली की तरह थी। अभियुक्त ने उसे विकसित होने से पहले ही कुचल दिया। यह अपराध घृणित प्रकृति का एवं मानवता को शर्मसार करने वाला है। ऐसे हैवानियत भरे अपराधी को मृत्युदण्ड ही दिया जाना चाहिए ताकि समाज में पल रहे ऐसे अपराधियों को सबक मिल सके।

जुर्म एवं सजापॉक्सो एक्ट ( लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012 ) : मृत्यु होने तक अभियुक्त को फांसी पर लटकाया जाए।अपहरण ( धारा 363) : छह वर्ष कारावास, 10 हजार रुपये अर्थदण्ड। अगर अर्थदण्ड न दिया तो छह माह का अतिरिक्त कारावास।हत्या ( धारा 302) : आजीवन कारावास एवं 50 हजार रुपये अर्थदण्ड। अगर अर्थदण्ड न दिया तो एक साल का अतिरिक्त कारावास।पिटाई करना ( धारा 323 ) : एक वर्ष का कारावास, एक हजार रुपये अर्थदण्ड। अगर अर्थदण्ड न दिया तो एक माह और जेल में रहना होगा।( अर्थदण्ड की धनराशि 61 हजार रुपये मृतक बच्ची के पिता को दी जाएगी )

अपराध से इंसाफ तक18 अगस्त 2022 : अपहरण के बाद बच्ची की हत्या की गई।19 अगस्त 2022 : केस दर्ज, आरोपी कपिल कश्यप गिरफ्तार।25 अगस्त 2022 : पुलिस ने जांच पूरी कर आरोप पत्र किया दाखिल।14 सितंबर 2022 : कोर्ट में कपिल कश्यप पर आरोप तय किए गए।23 सितंबर 2022 : अदालत में गवाहों के बयान दर्ज होना शुरू हुए।13 मार्च 2023 : कपिल को दुष्कर्म और हत्या का दोषी करार दिया गया।आपको बता दें कि गाजियाबाद के मोदीनगर के गांव में 18 अगस्त 2022 को दुष्कर्म के बाद की गई नौ साल की बच्ची की हत्या के मामले में दोषी कपिल कश्यप (25) को पॉक्सो कोर्ट के जज अमित कुमार प्रजापति ने बुधवार को फांसी की सजा सुनाई। उस पर 61 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। उसे 13 मार्च को दोषी करार दे दिया गया था। इस केस में पुलिस ने जांच पूरी करके सिर्फ छह दिन में आरोप पत्र दाखिल किया था। आरोप तय होने के बाद कोर्ट ने पांच महीने 29 दिन में फैसला सुना दिया।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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